देश के संविधान और देश की रक्षा के लिए तरह-तरह के कानून और नियम बनाए हुए हैं और इन्हें लागू करने का प्रावधान भी है। देश के लिए पुलिस फोर्स व बहुत सी एजेंसियां हैं, जिनसे देश की रक्षा होती है। इन्हीं के साथ-साथ शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो देश की रक्षा, सुरक्षा व तरक्की में सबसे बड़ा रोल निभात है। देश में आजादी के लिए जो क्रांति हुई थी वह भी शिक्षित लोगों के द्वारा की गई थी, क्योंकि अशिक्षित व्यक्ति क्रांति का नेतृत्व नहीं कर सकता। देश में क्रांति के समय या अन्य देशों में क्रांति का नेतृत्व हमेशा ही शिक्षित लोगों के हाथ में रहा है और उसी नेतृत्व से ही क्रांति संभव होती है। ऐसा दुनिया का इतिहास पढऩे से भी मालूम होता है और भारत की 1857 की क्रांति हो चाहे उसके बाद देश को आजादी मिलने तक की गई क्रांतियां हों, सभी में नेतृत्व शिक्षक लोगों के हाथ में रहा है। शिक्षा धर्मांधता से दूर करती है धर्मों, मजहबों में छिपी हुई है बुराइयों और कुप्रथाओं को परखने की समझ भी शिक्षा के द्वारा ही संभव है, क्योंकि जब व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में आगे कदम बढ़ाता रहता है तो उसे देश और दुनिया की जानकारी मिलती है, जिससे वह उन परंपराओं की जानकारी लेता है जो सही और गलत हैं। ऐसा नहीं है कि हमारी पुरानी मान्यताएं सारी गलत है, बहुत सी मान्यताएं सदा-सदा के लिए अच्छी रही हैं और आगे भी उनका महत्व रहेगा। यदि सती प्रथा या इसके बाद की बहुत सी प्रथाओं को देखा जाए तो वे शिक्षित व्यक्तियों के द्वारा दूर की गई। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो समाज में घोर अंधकार रहता। जब समाज पढ़ा-लिखा नहीं था तब दास प्रथा को भी गलत नहीं समझा जाता था। दास बनाना उन्हें खरीदना और बेचना समाज में स्वीकार्य था, क्योंकि समाज में जागरूकता नहीं थी। शिक्षा लोगों में तालमेल बनाती है, जातियों में तालमेल बनाती है और आपस के धर्म और अन्य मान्यताओं में तालमेल बनाती है। विद्यालय में सभी समुदायों धर्म और जातियों के बच्चे पढ़ते हैं जो एक दूसरे के प्रति समान भाव रखते हैं और सभी में सरकार व विद्यालय प्रशासन की ओर से तालमेल व समानता बनाई जाती है। इससे दूसरे धर्मों मजहबों के बारे में बनाई गई धारणाएं और दूसरे धर्म को मानने वालों के बारे में बनाई गई धारणाओं का पता चलता है। जो खाई अशिक्षित व्यक्तियों के बीच में होती है वह शिक्षित व्यक्तियों के बीच में नहीं देखने को मिलती। तरक्की के रास्ते भी शिक्षा से ही संभव है और शिक्षा ही व्यक्ति को सभ्य बनाती है। यदि चिकित्सा तकनीक व कानून की बात की जाए तो यह भी सब शिक्षा के क्षेत्र में आते हैं। किसी भी देश की रक्षा उसकी चिकित्सा प्रणाली, पद्धति व शिक्षा तकनीक से संभव पाती है, जिस देश का मेडिकल क्षेत्र उन्नत है, उस देश की बीमारियों पर नियंत्रण करने की क्षमता बढ़ जाती है। यदि बीमारियों पर नियंत्रण न पाया जाए तो इससे भी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है। चिकित्सा के अलावा तकनीकी क्षेत्र इंजीनियरिंग इत्यादि आजकल पूरी दुनिया और समाज में अपनी अहमियत रखते हैं। यह सब शिक्षा और शिक्षित व्यक्तियों के द्वारा ही अमल में लाए जा सकते हैं। आज जिस कानून से हम देश की रक्षा की बात करते हैं, वह कानून भी हमें शिक्षा के द्वारा ही सीखने को मिलता है। यदि हम खेती और पशुपालन की बात करें तो उसमें भी शिक्षा ही अपनी भूमिका निभाती है। एक समय था जब देश में गेहूं भी बाहर से मंगवाना पड़ता था, परंतु धीरे-धीरे वैज्ञानिकों ने नई-नई खोज की और हमारी पैदावार क्षमता को बढ़ाया। यदि हम कृषि के क्षेत्र में भी शिक्षा को नहीं लाते तो हमारी उत्पादन क्षमता को नहीं बढ़ा पाते। आज कृषि के क्षेत्र में नई-नई खोज की जा रही है, अच्छी-अच्छी फसल व अच्छी-अच्छी तकनीकों की खोज लगातार जारी है। इसी प्रकार पशुपालन के क्षेत्र में भी शोध जारी रहते हैं जो शिक्षा के द्वारा ही संभव हो पाते हैं। देश का निर्माण उद्योग भी अच्छे इंजीनियर के द्वारा अमल में लाया जाता है। शिक्षा का क्षेत्र इतना बड़ा है कि उसके बारे में वर्णन किया जाना भी संभव नहीं है। शिक्षा न केवल देश की रक्षा करती है, बल्कि सभी देशों को भी आपस में जोड़ती है। आज संयुक्त राष्ट्र संघ के रूप में एक ऐसी संस्था काम कर रही है जो पूरे संसार को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है। इस संस्था के अस्तित्व में आने से पहले 2 विश्व युद्ध हो चुके हैं। सभी देश आपस में लड़ते रहते थे और परमाणु बमों का भी प्रयोग हो चुका है, परंतु शिक्षित व्यक्ति समाज में आगे आए, सभी देशों में तालमेल बनाया और संयुक्त राष्ट्र संघ के रूप में एक संस्था का निर्माण किया। आज लगभग दुनिया का हर देश इसी के झंडे के नीचे काम करता है और पूरी दुनिया में भी शासन व्यवस्था कायम की हुई है। हालांकि इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, परंतु फिर भी एक तालमेल और समन्वय बनाने का काम संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया गया। आज टेलीफोन पर बात होना भी बहुत उच्च तकनीक का काम है। पूरी दुनिया आज एक मु_ी में समाई हुई है और पूरी दुनिया की जानकारी सैंकडो में मिल जाती है। यह सब शिक्षा और तकनीक के द्वारा ही संभव हो पाया है। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा लिखने का मेरा तात्पर्य यह है कि मैं भी एक शिक्षक हूं और सभी के लिए यह प्रेरणा देने की बात करता हूं कि व्यक्ति को अपने परिवार की शिक्षा के लिए ही सर्वोत्तम उपाय करने चाहिए यदि शिक्षा के लिए व्यक्ति अपने परिवार और बच्चों को सर्वोत्तम नहीं दे सकता तो वह भी पूर्ण शिक्षित नहीं है या जागरूक नहीं है।
विनोद रोहिल्ला, शिक्षक
लेखक पेशे से सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं