वैसे तो दुनिया के नक्शे में पाकिस्तान एक देश है और उसे वे सभी सुविधाएं और अधिकार प्राप्त हैं जो एक देश को होते हैं। उसकी भी एक संप्रभुता है और कहने को तो वहां लोकतंत्र है, परंतु धरातल पर वहां लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। आमतौर पर यदि पाकिस्तान का इतिहास देखा जाए तो वहां पर सेना का ही शासन कायम रहता है। वर्तमान इमरान खान सरकार भी पाकिस्तानी सेना की ही कठपुतली है। इमरान खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाने में सेना की ही भूमिका रही, जब तक सेना के रहमों करम रहेंगे, तब तक इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहेंगे। जब सेना पीछे हट जाएगी या किसी और को चाहेगी उस दिन इमरान प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। वहां के कट्टरपंथियों का भी अपना एक रुतबा है, जो सेना के संपर्क में रहते हैं। अर्थात यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में परोक्ष तौर पर सेना का शासन रहता है, जिसमें कट्टरपंथियों की दखलअंदाजी भी अहम होती है। यदि पाकिस्तान को एक देश की बजाए आतंक का किला कहा जाए तो यह उपयुक्त संज्ञा होगी, क्योंकि पाकिस्तान दुनिया में आतंक का सबसे बड़ा किला है। किसी भी बड़े आतंकवादी को शरण देने के लिए पाकिस्तान ही सबसे उपयुक्त देश है। दुनिया का कोई भी बड़ा आतंकवादी शरण लेने के लिए पाकिस्तान की ओर जा सकता है, क्योंकि उसे वहां वे सुविधाएं जरूर मिल जाएंगी जो एक आतंकवादी को मिलनी चाहिए। दुनिया भर के सभी बड़े सरगना पाकिस्तान में पाए जाते हैं। भारत के सभी भगोड़े आतंकवादी भी पाकिस्तान की ही सरजमीन पर पाए जाते हैं या पाकिस्तान उन्हें अपने यहां शरण देता है और उनसे भारत विरोधी कार्य लिए जाते हैं। दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान की नागरिकता भी इसी शर्त पर दी गई है। यदि दुनिया भर के आतंकवाद की बात की जाए तो जहां भी बम धमाके होते हैं या जहां भी कोई आतंकवाद की घटनाएं होती हैं, उनकी जड़े पाकिस्तान में मिलती हैं। पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकवादी दुनिया के अन्य देशों में फैलते हैं। कुछ साल पहले पाकिस्तान को अमेरिका से लगातार फंड मिलता रहता था। इस फंड का प्रयोग पाकिस्तान कश्मीर घाटी में आतंकवाद के लिए प्रयोग करता था। आतंकवाद वहां की सरकार और सेना में व्याप्त है, पाकिस्तान की सरकार की ही एक खुफिया यूनिट आईएसआई है जो सीधे तौर पर भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देती है। कहने को तो यह खुफिया एजेंसी है, परंतु इसका काम कश्मीर में और भारत में आतंकवाद फैलाने का है। इसके पास सेना का सारा सामान होता है और इन्हें वह आतंकवाद के जरिए अमल में लाती हैं। भारत के खिलाफ जहर फैलाकर या भारत के खिलाफ आतंकवादी घटनाएं करके वहां सस्ती लोकप्रियता बटोरी जाती है। भारत से भागकर गए हुए भगोड़े आतंकवादी भी पाकिस्तान की आंखों के तारे माने जाते हैं। पाकिस्तान में जगह-जगह पर आतंकी कैंप और लांच पैड बनाए हुए हैं, जिन्हें सीधे तौर पर भारत के खिलाफ प्रयोग किया जाता है। उन्हीं से भारत में घुसपैठ करवाई जाती है। यदि पूरे संसार की बात की जाए तो पाकिस्तान इस्लामिक आतंकवाद का वह किला है, जिसे दुनिया का हर आतंकवादी अपना देश समझता है। दुनिया का सबसे खूंखार माना जाने वाला आतंकवादी लादेन भी पाकिस्तान में ही पाया गया था। जिसे अमेरिका ने मार गिराया। भारत के भगोड़े दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन आदि सभी पाकिस्तान में अपना नेटवर्क चला रहे हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में है जो कभी भी ब्लैक लिस्ट हो सकता है, परंतु पाकिस्तान के मित्र देश जो भारत के विरोधी हैं, जिनमें चीन तुर्की और मलेशिया शामिल हैं। ये हमेशा पाकिस्तान को काली सूची में डालने से बचाते रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इस्लामिक आतंकवाद का सबसे बड़ा किला पाकिस्तान यदि सुरक्षित है तो भारत जैसे देशों पर हमेशा दबाव बनाया जाता रहेगा। यही नीति चीन की भी है। पाकिस्तान की कट्टरपंथियों को आतंकवाद फैलाने के लिए जो धन प्राप्त होता है, उसके भी बहुत से स्रोत हैं, जिन पर अब भारत सरकार की पैनी नजर है। भारत सरकार की उस सख्ती के बावजूद पाकिस्तान का आतंकी मिशन परेशानी में जरूर आया है और उसे अमेरिका से मदद मिलने भी बंद हो चुकी है। पूरी दुनिया अब इस आतंक के किले से वाकिफ हो चुकी है, क्योंकि दुनिया का हर देश किसी न किसी रूप में आतंक से पीडि़त और परेशान है। वहीं पाकिस्तान धीरे-धीरे अपने आतंकी किले को संभाले हुए हैं।
विनोद रोहिल्ला, शिक्षक लेखक पेशे से सरकारी शिक्षक हैं