आजकल कोरोना की वजह से शिक्षा देने का कार्य ऑनलाइन चल रहा है। जब से मार्च 2020 में लॉकडाउन हुआ था और कोरोना धीरे-धीरे इस देश में अपने पांव पसार रहा था, तबके बाद सभी राज्य सरकारों और देश की सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूलों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की प्रक्रिया शुरू की थी और करवाई थी। अध्यापक इस प्रक्रिया के चलते बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से पढ़ाने में व्यस्त रहे तो इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को साथ-साथ ट्रेनिंग देने भी प्रारंभ कर दी। इसके लिए विभाग ने नए-नए ऐप बनाने शुरू कर दिए जो सिलसिला अब भी जारी है। सभी अध्यापकों को शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार ऐप डाउनलोड करके उस पर कार्य करना अनिवार्य कर दिया है। दीक्षा एप से अध्यापकों को महीने में लगभग 2 बार ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिसमें सभी अध्यापक भाग ले रहे हैं और शिक्षा विभाग हर रोज नए-नए ऐप बना कर उन्हें डाउनलोड करने के लिए अध्यापकों को बाध्य कर रहा है जो अध्यापकों को रास नहीं आ रहा। इसका मुख्य कारण यह है कि एक तो हर रोज विभाग द्वारा बनाए गए ऐप से अध्यापकों की गोपनीयता को लीक होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि हर प्रकार के ऐप परमिशन मांगते हैं और जब तक उन्हें परमिशन नहीं मिल जाती तब तक ऐप पर काम नहीं होता या इसे यूं भी कह सकते हैं कि परमिशन के लिए ही ऐप को प्रयोग करने वाले के ऊपर छोड़ा जाता है कि वह इसकी परमिशन देता है या नहीं, परंतु बिना परमिशन दिए ऐप काम नहीं करता तो उसको परमिशन अलाउड करनी होती है। इससे सारी गोपनीय जानकारी एप के पास या फिर ऐप बनाने वाली कंपनी के पास चली जाती है। अभी हाल ही में चीन के 200 से ज्यादा ऐप पर प्रतिबंध लगाया था, उसका यही कारण था कि हमारे देश की गोपनीय जानकारी चीन या अन्य एजेंसियों के पास चली जा रही थी। यही कारण है कि ऐप के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की जानकारी का लीक होने का खतरा सबसे बड़ा होता है। इसमें दूसरा पहलू यह भी है कि बार-बार ऐप डाउनलोड करने से फोन की मेमोरी फुल हो जाती है और दूसरे ऐप पर भी असर पड़ता है या यूं कहें कि फोन की गति में भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है। अध्यापक को अन्य ऐप या कई चीजें डिलीट करनी पड़ती है, तब जाकर यह सिस्टम काम करने लग जाता है। इसमें नई बात यह देखने में आई है कि बहुत सारी पीडीएफ अब उन्हीं ऐप में जाकर खुलती है। इसको सीधे तौर पर नहीं तो यह जरूर कहा जा सकता है कि इन एप ने लगभग हमारे फोन को हैक कर लिया है, जब भी कोई नई चीज खोलते हैं वह इन्हीं ऐप में जाकर के खुलती है। जो ऐप शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को डाउनलोड करने के लिए बाध्य किया है। यह भी बहुत बड़ी समस्या है, क्योंकि किसी के फोन से कोई भी पीडीएफ जब देखी जाती है तो वह सामान्य तौर पर देखी जाती है, परंतु शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए ऐप पर ही वह जाकर के खुलती है, यह बड़े चिंता का विषय है। इसमें सभी अध्यापक परेशान है।ं अब धीरे-धीरे अध्यापक संगठनों ने इस बारे में अपना विरोध भी करना शुरू कर दिया है। हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन भी इसका विरोध करता है और भी तमाम अध्यापक संगठन इस बात के विरोध करते हैं कि विभाग अपना एक ऐप बनाए, जिसमें सभी लिंक डाले जाएं। सभी अध्यापक संगठन विभाग के ऐप डाउनलोड करने के विरोधी नहीं हैं, किसी को कोई आपत्ति भी नहीं है। ऐप के माध्यम से शिक्षा लेना शिक्षा देना या ट्रेनिंग करना इनसे भी कोई आपत्ति नहीं है। सभी अध्यापक ऊर्जावान हैं और वे शिक्षा विभाग द्वारा या हरियाणा सरकार या भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी की गई गाइडलाइन को मानते हैं और उस पर काम करते हैं, परंतु नित नए-नए ऐप देकर और पुराने डाउनलोड किए गए ऐप को भूल करके क्या किया जा रहा है। इसकी जानकारी अभी तक किसी के सामने नहीं आई है। इस बारे में विभाग को यह विचार अवश्य करना चाहिए कि जितने लिंक अलग-अलग ऐप के माध्यम से दिए जा रहे हैं, वह सभी एक ऐप के माध्यम से भी दिया जाना संभव है, यदि इस पर आईटी सेल काम प्रयास करें तो।
विनोद रोहिल्ला, शिक्षक
लेखक पेशे से एक सरकारी शिक्षक हैं।