मानव कल्याण के लिए हजारों वर्ष बाद सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र रहा धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र : शरणानंद, शास्त्र और अनुसंधान के अनुसार कुरुक्षेत्र रहा सूर्य ग्रहण का केन्द्र, कुरुक्षेत्र में लगे सूर्य ग्रहण अब आएगा नजर सदी के बाद, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सूर्य ग्रहण के अवसर पर विश्व शांति और कोरोना महामारी से मुक्ति कर आयोजित विश्व शांति पाठ से पहले आनलाईन माध्यम से की महान संतों से बातचीत
कुरुक्षेत्र। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सूर्य ग्रहण के दौरान धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर राष्टï्र कल्याण के लिए सात्विक अनुष्ठïान में काशी और बृज से महान साधू संतों ने यज्ञ किया है। इस धार्मिक अनुष्ठïान से पूरे विश्व का कल्याण होगा और देश व प्रदेश कोरोना महामारी से भी मुक्त होंगे। इस वर्ष शास्त्रों और अनुसंधान के अनुसार सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र रहा है। इस सूर्य ग्रहण के बाद इस सदी और आगे आने वाले समय में भी इस प्रकार का सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ से आनलाईन डिजिटल माध्यम से कुरुक्षेत्र ब्रह्मïसरोवर के गंगा घाट पर विश्व शांति और कोरोना महामारी की मुक्ति के लिए आयोजित विश्व शांति पाठ के शुरू होने से पहले काशी, ब्रज और कुरुक्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न अखाडो से आएं साधु संतों से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अषाढ अमावस के सूर्य ग्रहण के अवसर पर मानव मात्र की मंगल कामना करते हुए कहा कि शास्त्र और अनुसंधान का मनाना है कि इस बार सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र रहा है। इस वर्ष सूर्य ग्रहण जिस प्रभाव का है वह लम्बे समय के बाद ऐसा हुआ है और इस सदी तथा आगे आने वाले समय में भी इस प्रकार का सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा। धर्मक्षेत्र- कुरुक्षेत्र के ब्रह्मïसरोवर पर सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र होने के कारण गीता उपदेश स्थली में धार्मिक अनुष्ठïान का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और वेद शास्त्रों की मंत्र शक्ति से नकारात्मक प्रभाव को सकारात्मक प्रभाव में बदलने के लिए धार्मिक अनुष्ठïान किए जाते है। इसलिए गीता उपदेश स्थली में अखंड पाठ और सात्विक अनुष्ठïान का आयोजन किया गया है। इस वर्ष कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव करने के लिए बडे स्तर के मेले का आयोजन नहीं किया गया है। मानव मात्र के कल्याण के लिए काशी, ब्रज, कुरुक्षेत्र और अखाडो के महान संत ब्रह्मïसरोवर के सात्विक अनुष्ठïान में शामिल हुए है। इस अध्यात्मिक अनुष्ठïान से नकारात्मक प्रभाव को रोकने की प्रार्थना की गई है और विश्व कल्याण तथा राष्टï्र सुख के लिए यह अनुष्ठïान लाभदायक सिद्घ होगा। उन्होंने कहा कि नागरिकों की भावना को देखते हुए कुरुक्षेत्र के सूर्य ग्रहण को लोगों ने घर बैठे टीवी चैनलों और प्रचार-प्रसार के अन्य माध्यमों से देखा है। उन्होंने विश्व शांति और देश को कोरोना से मुक्ति दिलवाने के लिए विश्व शांति पाठ में पहुंचे सभी संत जनों का आभार व्यक्त किया है। इस अनुष्ठïान से निश्चित ही विश्व का कल्याण होगा और देश कोरोना से मुक्त होगा। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर धर्मक्षत्र-कुरुक्षेत्र के ब्रह्मïसरोवर पर धार्मिक अनुष्ठïान किसी सरकारी कार्य या निजी कार्य के लिए आयोजित नहीं किया गया। यह अनुष्ठïान विश्व कल्याण और देश को कोरोना महामारी से निजात दिलवाने के लिए किया गया है।
मानव कल्याण के लिए हजारों वर्ष बाद सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र रहा धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र : शरणानंद
कुरुक्षेत्र। कार्षिण पीठाधीश्वर स्वामी गुरू शरणानंद महाराज ने कहा कि मानव कल्याण के लिए हजारों वर्ष बाद सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र बना है। इस धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में सूर्य के प्रभाव को रोकने और विश्व कल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठïान का आयोजन किया गया है। स्वामी गुरू शरणानंद महाराज रविवार को ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव क्षेत्र कुरुक्षेत्र में है, इस सूर्य ग्रहण की मुख्य रेखा ब्रह्मïसरोवर के उपर से गुजर रही है और कंगनाकार आकार का सूर्य ग्रहण कुरुक्षेत्र से नजर आया है। इस प्रकार का सूर्य ग्रहण हजारों साल के बाद नजर आया है, इससे पहले भगवान श्री कृष्ण ने बृज छोडने के बाद कुरुक्षेत्र में इस प्रकार के सूर्य ग्रहण ब्रजवासियों से कुरुक्षेत्र में ही मिले थे। उन्होंने कहा कि इस सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र होने के कारण इस स्थल को धार्मिक अनुष्ठïान के लिए चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण पर शोध करने के लिए स्वयं वैैज्ञानिक भी यहां पर पहुंचे है। यह वैज्ञानिक इस बात का अनुसंधान करना चाहते है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव कितना होगा और कितने समय बाद सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र मेंं रहा है। आध्यत्मिक दृष्टि से भी कुरुक्षेत्र में भी सूर्य ग्रहण का इस बार बहुत अधिक महत्व है। इस लिए कुरुक्षेत्र में धार्मिक अनुष्ठïान के माध्यम से विश्व कल्याण और कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए साधू संतों द्वारा पूजा अर्चना की गई है। यह अनुष्ठïान केवल हिन्दु मात्र के लिए ही नहीं है, अपितू विश्व कल्याण के लिए अनुष्ठïान का आयोजन किया गया है।
कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का अधिक प्रभाव अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिï का है संगम : ज्ञानानंद
कुरुक्षेत्र। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में इस वर्ष सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र रहा है इसलिए अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिï से यह एक अदभूत संगम है। इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव कल्याण के लिए दूर दराज से आए संत जनों ने ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर विश्व शांति का जप किया है। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद रविवार को ब्रह्मïसरोवर के तट पर विश्व शांति पाठ में शामिल होने से पहले पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण के महत्व को देखते हुए और कोरोना महामारी की मुक्ति की प्रार्थना करने के लिए ही सरकार ने धार्मिक अनुष्ठïान करने का मन बनाया। इसलिए सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव जाति कल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान में यज्ञ और अखंड पाठ किया गया है, इस धार्मिक अनुष्ठïान में कार्षिण पीठाधीश्वर गुरू शरणानंद महाराज विशेष तौर पर शामिल हुए है। उन्होंने तामिलनाडूू और अमेरिका के न्यूयार्क में भी सूर्य ग्रहण के मुख्य केन्द्र होने पर स्नान किया था और इस वर्ष कुरुक्षेत्र में मुख्य केन्द्र होने के कारण स्नान के लिए यहां पहुंचे है। इसके अलावा पथमेहडा गऊशाला के संघ दथ शरणानंद महाराज, स्वामी राजेन्द्र दास महाराज के साथ-साथ कुरुक्षेत्र और आस-पास के क्षेत्र से संत पहुंचे है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैली हुई है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। इस समय विश्व कल्याण और कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए प्रार्थना करना बहुत जरूरी है। इसलिए कुरुक्षेत्र में विश्व कल्याण और कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए धार्मिक अनुष्ठïान यज्ञ में संत जनों द्वारा प्रार्थना की गई है। उन्होंने कहा कि संतों के साथ-साथ इस्सरों के वैज्ञानिक भी सूर्य ग्रहण पर अनुसंधान के लिए यहां पहुंचे है। यह सूर्य ग्रहण शोधकर्ताओं के लिए भी अदभूत दृश्यों से कम नहीं है। इस शोध से काफी तथ्य समाने आएंगे जोकि आने वाले समय में पूरे विश्व के लिए लाभदायक होंगे।