अपनी संतान को जीवन भर की खुशियां देता है पिता
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता कोई और दिखाए जा रहा था और वो हैं मेरे पापा। पिता का रुतबा सबसे ऊंचा रब के रूप के समान है, पिता की अंगुली थाम के चले तो रास्ता भी आसान है…. रविवार को पितृ दिवस पर मैथोडिस्ट सीनियर सैकेंडरी स्कूल के बच्चों ने ऑनलाइन पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर पिता के प्रति अपनी भावनाओं को कागज पर उकेर कर उसमें जीवन के रंग भरे। दसवीं कक्षा के प्रियांशु व 8वीं कक्षा की वंदना ने फादर्स डे पर बेहतरनी प्रेंटिंग बनाई। बच्चों ने पेंटिंग में अपने पिता को गुरू का दर्जा देते हुए महान बताया है। स्कूल प्रिंसीपल रीना मनी ने बच्चों द्वारा ऑनलाइन बनाई गई पेंटिंग पर कहा कि पिता घर की शान है, तभी तो वह महान है। घर में माता की ममता होती है, जो इंसान को अपने पन का एहसास कराता है, लेकिन पिता भी एक हस्ती ऐसी है दुनिया में जो अपनी इच्छाओं का अंत कर रात दिन मेहनत करता है, ताकि वह अपनी संतान को जीवन भर की खुशियां दे दें। पिता को घर में आदर्श पुरुष की संज्ञा दी जाती है। पिता को सम्मान देने के लिए भारत देश में प्रतिवर्ष जून के तीसरे रविवार को पितृ दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उसकी संतान इस दिन उसे सम्मान दे सकें। जिस प्रकार माता हमारी (बच्चों की प्रथम शिक्षिका) होती है। उसी प्रकार पिता बच्चों के गुरू होते हैं, जो अपनी संतान रूपी शिष्य को भले ही डांटता हो, लेकिन अंदर से वह अपने शिष्य (बच्चों को) संभालते हुए उनके जीवन को सुधारते हैं। वह जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं। अत: हम पिता को एक अच्छा सलाहकार भी कह सकते हैं। इसलिए आज के युग में भी प्राचीन युग की भांति प्रत्येक संतान को अपने पिता को सम्मान देना चाहिए। वह समय रहते उनका सहयोग करना चाहिए। पिता हमेशा अपने बच्चों की हर इच्छा को पूर्ण करता है, उसके लिए चाहे उसे कितने भी दुख क्यों न सहन करना पड़े, इसलिए हमेशा अपने पिता का सम्मान करते हुए उनकी भावनाओं को समझना चाहिए।