ग्रहण केवल छाया के खेल : कृष्ण वत्स
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। हरियाणा विज्ञान मंच के जिला संयोजक कृष्ण मलिक ने बताया कि 21 जून को इस वर्ष का पहला सूर्यग्रहण होने जा रहा है। जिसे उत्तरी राज्यों राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा। कंगनाकार सूर्यग्रहण की यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा, पृथ्वी से दूरस्थ होने के कारण अपने सामान्य आकार से छोटा होता है व ग्रहण की स्थिति होने पर यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढांप पाता, बल्कि सूर्य के बीच में आकर वलयकार आकृति बनाता है। यह सूर्यग्रहण की एक बिरल व दर्शनीय खगोलीय घटना है। मलिक ने आगे बताया कि हरियाणा के सिरसा, रतिया, जाखल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर आदि शहरों से होता हुआ यह उत्तराखंड में प्रवेश करेगा। रविवार सुबह को 10:15 बजे ग्रहण शुरू होगा जो दोपहर 01:47 बजे तक चलेगा। इस दौरान हमारे यहां 90 से 97 प्रतिशत तक सूर्यग्रहण होगा। हरियाणा विज्ञान मंच के राज्य सचिव कृष्ण वत्स ने कहा कि आज भी सूर्यग्रहण को लेकर अनेकों मिथक और अंधविश्वास हमारे समाज में प्रचलित हैं। जबकि ग्रहण केवल छाया के खेल है, जिसमें एक खगोलीय पिंड की दूसरे पिंड पर परछाई पडऩे से प्रकाश अवरुद्ध हो जाता है। पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर तथा चंद्रमा का पृथ्वी के चारों घूमने से हर छह महीने बाद यह स्थिति बनती है। हमारे यहां ऐसा मिथक है कि सूर्यग्रहण के दौरान हानिकारक किरणें उत्सर्जित होते है, इसलिए ग्रहण के दौरान सूर्यग्रहण को नहीं देखना चाहिए, भोजन खराब हो जाता है, गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, इस दौरान दान करने से पुण्य होता है। इस प्रकार की धारणाएं प्रचलित है। सूर्यग्रहण के दौरान कोई हानिकारक किरणें नहीं निकलती, लेकिन सूर्यग्रहण को सावधानी से देखना चाहिए। नंगी आंखो से देखने से रेटिना को नुकसान हो सकता है, यहां कि अंधापन भी हो सकता है। इसलिए सूर्यग्रहण को सुरक्षित सौलर फि़ल्टर या सौलर मिरर प्रॉजेक्टर द्वारा सूर्य का प्रतिबिंब दीवार पर लेकर देखना चाहिए। रंगीन या काले चश्मे या एक्सरे फिल्म से भी सूर्यग्रहण को कभी न देखें। इस दौरान विज्ञान मंच के सह-सचिव व चल तारामंडल के माध्यम से खगोल विज्ञान का प्रचार करने वाले अजमेर चौहान ने कुछ लोगों को सोलर फि़ल्टर से सूर्यग्रहण देखने के सही तरीके समझाये।