गुरुग्राम से लाया गया इंप्लांट का सामान
वकील जैन, सोनीपत। वर्तमान कोरोना के कहर व लॉकडाउन के बीच दूध से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं तक पाना एक चुनौती बन गई है, ऐसे में फिम्स अस्पताल मरीजों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहा है। इसका एक उदाहरण है, जब 29 वर्षीय युवक मोहित गांव राजपुर की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। वह कई अस्पतालों के चक्कर काटता रहा, लेकिन उसका कहीं इलाज नहीं हुआ। ऐसे में फिम्स अस्पताल में मरीज को भर्ती किया और इलाज शुरू किया। मरीज के निचले हिस्से के रीढ़ की हड्डी टूटी पाई गई। लॉकडाउन के बाद भी इंप्लांट का सामान गुरुग्राम से लाया गया और बिना समय खराब किये मरीज की सर्जरी की गई। डॉ प्रवीण गुप्ता न्यूरो सर्जन ने बताया कि यह सर्जरी करीब छह घंटे तक चली और सफल रही। सर्जरी के तीन दिन में ही मरीज उठकर चल पा रहा है। डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर थे। ऐसी सर्जरी दिल्ली में भी मुश्किल से होती है और इसमें खर्च भी बहुत आता है, लेकिन हमारे यहां यह सर्जरी कम खर्च में हो गई। मरीज से बात करके पता चला कि वह सोनीपत के कई अस्पतालों सहित पीजीआइ रोहतक भी गया था पर उसका इलाज नहीं हुआ, फिर मरीज फिम्स अस्पताल आया। यहां मरीज को भर्ती कर लिया गया और तुरंत उसका इलाज शुरू हो गया। जैसे-तैसे इंप्लांट व अन्य जरूरी सामान का इंतजाम गुरुग्राम से किया गया व उसकी सर्जरी शुरू हुई। कोरोना के डर से जहां लोग एक-दूसरे आसपास भी नहीं जा रहे व पूरा देश व दुनिया थमी हुई है। वहां फिम्स अस्पताल व उसके कर्मचारियों ने इंसानियत व मेडिकल पेशे में एक नई मिसाल कायम की और युवक को नई जिंदगी दी। हम ऐसे कोरोना योद्धाओं को सलाम करते हैं।
Aise doctors aur hospitals bahot kam hai jo aise time par ilaaj karte hai. Salaam!
जी बिल्कुल सही कहा आपने, इस संकटकाल में अधिकतर अस्तपाल इलाज नहीं कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में कोरोना के डर से डाक्टर आम मरीज को भर्ती भी नहीं करते हैं।