पूरे ब्रह्मण्ड में ज्ञात ग्रहों में पृथ्वी सबसे सुंदर ग्रह
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर हरियाणा विज्ञान मंच के राज्य सचिव कृष्ण वत्स ने बताया कि सैन फ्रांसिस्को के जान मैककोनल द्वारा 1970 में पृथ्वी के पर्यावरण को स्वस्थ रखने, स्वच्छ जल, वायु व मिट्टी, नियमित जलवायु व पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण की जरूरत को महसूस करते हुए विश्व भर में जागरूकता की आवश्यकता महसूस करते हुए अभियान चलाया था। इसके 50 वर्ष बाद ही ऐसे हालात हो जायेंगे शायद सोचा नहीं होगा। पूरे ब्रह्मण्ड में ज्ञात ग्रहों में पृथ्वी सबसे सुंदर ग्रह है, क्योंकि केवल जीवन का अस्तित्व इसी ग्रह पर संभव है। वैज्ञानिकों ने अभी तक लगभग 3.5 करोड़ पौधे व जीवों की प्रजातियां पहचान की हैं। यह जैव विविधता ही पृथ्वी की सुंदरता है, जिसमें एक जटिल संबंध व संतुलन है। मनुष्य ने विकास व अधिक पाने की लालसा में इसे इतना असंतुलित कर दिया है कि पृथ्वी आज विनाश के कगार पर है। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, तकनीकी खेती, औद्योगिकीकरण के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढऩे से उनका अत्यधिक शोषण हो रहा है, जिससे जल, जंगल, जमीन के स्त्रोत प्रदूषित होने के साथ-साथ खत्म भी होते जा रहे हैं। जंगलों के अत्यधिक कटान से यहां की जैव विविधता तेजी से नष्ट हो रही है। जंगल पर्यावरण शुद्धि के साथ-साथ खतरनाक विषाणुओं व रोगाणुओं के जीन का भंडारण भी है। जंगल कटान के कारण जंगली जीव जंतु मनुष्यों के संपर्क में आ रहे हैं। जिससे एबोला, सार्स, बर्ड फ्लू, स्वाईन फ्लू जैसे खतरनाक विषाणु मनुष्यों में प्रवेश कर खतरनाक रोग उत्पन्न कर रहे हैं। कोरोना जो विश्व महामारी का कारण बना है, इन्हीं विषाणुओं का जीनोम प्रतिरुपण है। आज जब कोरोना से विश्वभर में सभी गतिविधियां रुक गयी हैं तो नदियां पुनर्जीवित हो गयी हैं व स्वच्छ निर्मल पानी की धारा बनकर बहने लगी हैं। स्वच्छ आसमान जगमगा रहा है, वायु स्वच्छ हो चली है, पक्षी चहचहाने लगे हैं। यह दर्शाता है कि यदि मानवीय हस्तक्षेप सीमित है तो प्रकृति अपना संतुलन बनाने में सक्षम है। कोविड-19 ने यह दिखा दिया है कि जब प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति बदला लेगी। जिसके प्रकोप के आगे विज्ञान, तकनीक, मैडीकल साईंस व विकास असहाय हैं, जैसा आज हम देख रहे हैं। आज पृथ्वी को बचाने के लिए जरुरत है, ऐसे जन आंदोलन की जो 15 वर्षीय स्वीडिश लडक़ी ग्रेटा थनबर्ग ने पृथ्वी को जलवायु संकट से बचाने के लिए किया। जिसमें 10 लाख से अधिक दुनिया के युवा जुड़े। आज पृथ्वी दिवस पर हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि पृथ्वी को सभी जीवों के रहने योग्य बनाये रखना, ताकि इसकी खुबसूरती बनी रहे।
बहुत अच्छा लेख है जी पृथ्वी दिवस के अवसर पर। उम्मीद करता हूँ कि आप आगे भी ऐसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अधार पर जानकारियां देते रहेंगे।
धन्यवाद
Sonipat 24 टीम का हौंसला अफजाई के लिए आपका दिल की गहराईयों से धन्यवाद जी।