सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव का समापन, मेल मिलाप का सिलसिला यूं ही चलता रहे
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर शुक्रवार को महाशिव रात्रि पर्व पर शिव भक्तों का श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ जनसैलाव देखने को मिला। महाशिव रात्रि के दिन सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव का समापन सत्र था। सात दिवसीय उत्सव में पांच कुंडीय रुद्र महायज्ञ में आचार्य दीपक के नेतृत्व में पूर्ण आहुति डाली गई। इंद्र देवता रिमझिम-रिमझिम बूंदों की झड़ी लगाकर भगवान शिव को जलाभिषेक कर रहते। वहीं श्रद्धालुओं की श्रद्धा भक्ति और प्रेम की रसधारा बह रही थी। श्रद्धा और भक्ति के साथ श्रद्धालुओं के कदमों को बरसात भी रोक नहीं पाई। हजारों की संख्या में पहुंचे शिवभक्तों ने पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज का आशीर्वाद लिया। मेहमानों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। भजन सम्राट पवन देव चतुर्वेदी व्यास ने भक्ति के रंग संगीत रस घोला। पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज ने मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए कहा कि सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम श्रद्धालुओं की श्रद्धा की बदौलत पूरे विश्व में विख्यात हो रहा है। भारत के 68 तीर्थ में शामिल तीर्थ सतकुंभा को सरकार भी अब कृष्णा सर्किट में शामिल करने की कार्ययोजना पर काम कर रही है। मुरथल डीक्रस्ट के 32 इंजीनियर मिलकर इसका नक्शा तैयार कर चुके हैं। जिसे प्रो. विजय शर्मा की देखरेख में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की हुई है। महाशिव रात्रि के पर्व पर सतकुंभा धाम पर पहुंचे तोशाम के एसडीएम संदीप कुमार ने कहा कि हम सभी मिलकर इस तीर्थ सतकुुंभा को सुन्दर स्वरूप के साथ तैयार करेंगे। मेरा बचपन इस तीर्थ पर गुजरा, मैने यहां पर स्नान किया। यहां का यह सबसे पुराना ऐतिहासिक तीर्थ है। इसकी मान्यता पूरे विश्व के तीर्थो में है। भक्त हरिद्वार, उज्जैन, नासिक या प्रयाग में पहुंचते है यह तीर्थ उन्हीं की तरह तपस्वियों की तपस्थली है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान रघुनाथ कीर्ति परिसर देव प्रयाग उतराखंड के प्रधानाचार्य प्रो. केबी सुबुरायडू ने तीर्थ पर आकर माथा टेका। गन्नौर थाना प्रभारी बदन सिंह, मामराज छौक्कर आदि को महंतश्री राजेश स्वरुप महाराज ने आशीर्वाद प्रदान किया। सात दिवसीय उत्सव में आए मेहमानों को स्मृति चिह्न के साथ पगड़ी भेंट की गई। महाशिव रात्रि पर तेज प्रकाश यादव ने अनंत भंडारे की सेवा की।
मेल मिलाप का सिलसिला यूं ही चलता रहे
पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने घोषणा की कि श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान रखते हुए अगली बार इसको कुंभ मेले की तर्ज पर मनाया जाएगा। इस बार सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव में लाखों श्रद्धालु आए, जिन्होंने यह मांग रखी है। श्रद्धालुओं की भावनाओं के दृष्टिगत इसको कुंभ मेला की तरह विराट स्वरुप प्रदान किया जाएगा, यह संकल्प शिवभक्तों ने लिया है। पांच कुंडीय रुद्र महायज्ञ में दो लाख 18 हजार आहुतियों के साथ पूर्ण आहुति दी गई। वहीं 251 महिलाओं को कलश दिए। धाम पर पहुंचे भक्तों ने जलाभिषेक करने के उपरांत भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। वहीं मुथरा वृंदावन से आए कलाकारों ने भक्तिमय कार्यक्रम प्रस्तुत कर महाशिव रात्रि के पर्व को चार चांद लगा दिए। इस मौके पर धाम के प्रबंधक सूरज कुमार शास्त्री, पवन शास्त्री, पं. रणजीत, पं. राममेहर, शहरपाल, ब्रह्मपाल, जनेश्वर, रामनिवास, पं. बिजेन्द्र, सोनू, नरेन्द्र शर्मा परवाना सहित काफी संख्या गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।