बौद्धिक पत्रकारिता कार्यशाला के तहत 22 सदस्यीय पत्रकारों के दल ने किया विश्व धरोहर एलीफेंटा गुफाओं का दौरा
सोनीपत, मुंबई, सुखबीर सैनी/रणबीर सिंह रोहिल्ला। जिला प्रेस कल्ब सोनीपत के तत्वाधान में मुंबई में आयोजित हुई त्रिस्तरीय कार्यशाला के बाद विश्व धरोहर एलीफेंटा की गुफाओं का भी पत्रकार प्रतिनिधिमंडल ने दौरा कर अनूभूति प्राप्त किया। इस दौरान पुरातत्व विभाग की तरफ से अधीक्षण डा. राजेंद्र यादव के निर्देशानुसार एक गाइड दल को उपलब्ध कराया गया। जिन्होंने प्रतिनिधिमंडल को एलीफेंटा की गुफाओं के बारे में पूर्ण जानकारी प्रतिनिधिमंडल को दी। गाईड दीपक ने गुफा के विवरण के दौरान बताया कि पूरी दुनिया भर में मशहूर एलीफेंटा की गुफाएं भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर घारपुरी द्धीप पर स्थित हैं। भगवान शिव को समर्पित इन गुफाओं में भगवान शिव के तीन स्वरुपों की भव्य मूर्ति स्थापित हैं। इन गुफाओं को इन ऐतिहासिक महत्व के कारण साल 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया था। एलीफेंटा गुफाएं करीब 6-8 वीं शताब्दी में बनाई गई थी। जो पर्वत श्रृंखला को काटकर बनाया गया था। जिसका करीब 60 हजार वर्ग फीट के क्षेत्र है। जो भगवान शिव को समर्पित गुफाएं हैं। एलीफेंटा गुफाओं का महत्व एलीफेंटा गुफाओं का रिकॉर्ड बादामी चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्वितीय द्धारा कोंकण के मौर्य शासकों की हार के समय से मिलता हैं। उस दौरान भगवान शिव को समर्पित इन विशाल एलीफेंटा गुफाओं को पूरी या पुरिका के नाम से जाना जाता था और यह घारापुरी द्वीप पहले कोंकण मौर्यों की राजधानी थी। वहीं इसके बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इन प्रसिद्ध एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण कोंकण मौर्यों ने करवाया था।
एलीफेंटा गुफाओं की वास्तुकला एवं अद्भुत संरचना
महाराष्ट्र के मुंबई से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलीफेंटा की प्रसिद्ध गुफाएं 60 हजार वर्ग फीट के क्षेत्रफल मंर फैली हुई हैं। इसके परिसर में कुल 7 गुफाएं हैं, जिनमें से 5 गुफाएं हिन्दू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। जो साइड में बनाई गई है। यहां पर शिव लिंग स्थापित है, जिसके सभी दिशाओं में द्वारा भी स्थापित किए हुए हैं। सभी द्वारा पर प्रहरी भी शिल्पकारों ने दर्शाए हुए हैं। घारपुरी द्वीप में स्थित एलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 1, ग्रेट गुफा के नाम से जानी जाती है, जिसके अंदर भगवान शिव की कई मूर्तियां विराजित हैं। इस गुफा के केन्द्र में भगवान शिव को समर्पित त्रिमूर्ति स्थापित हैं, जो कि सदाशिव के नाम से जानी जाती हैं। जिसमें ब्रहमा, विष्णु, महेश की मूर्ति है, जो खंडित नहीं है, बताया जाता है कि उसके सामने दीवार होने के कारण यह मूर्ति खंडित होने से बच गई थी। इस गुफा में भगवान शिव की अन्य एक और मूर्ति है, जिसमें गंगा को धरती पर लाते हुए शिव का चित्रण दिखाया गया है। एक मूर्ति में रावण का घंमड़ चकनाचूर करते हुए दिखाया हुआ है। माता पार्वती के साथ शादी से पहले व शादी के बाद की मूर्त का चित्रण भी किया हुआ है। जिसमें दर्शाया गया है कि शादी से पहले बाए व शादी के बाद दाएं दर्शाया हुआ है। शादी में बारातियों का भी चित्रण इस गुफा में दर्शाया गया है। वहीं ऐलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 2 से गुफा नंबर 5 कैननहिल के नाम से जानी जाती हैं। यहां पर गुफा नंबर 6 और 7 के लिए स्तूप हिल्स हैं। वहीं गुफा नंबर 6 को सीताबाई गुफा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसकी गुफा नंबर 7 के आगे एक तालाब है, जो कि बौद्ध तालाब के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव को समर्पित हैं ऐलीफेंटा गुफाएं
मुंबई के पास घारपुरी द्वीप में स्थित यह गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित हैं। इन गुफाओं में भगवान शंकर की कई प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां भगवान शिव के तीनों रुपों का वर्णन करती हुईं मूर्तियां स्थापित है। कैलाश पर शिव-पार्वती, नटेश्वर, अर्धनारीश्वर, महेशमूर्ति शिव, पार्वती-परिणय, कैलाशधारी रावण एवं भैरव आदि की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
एलीफेंटा गुफा से जुड़े रोचक तथ्य
= मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित यह एलिफेंटा की गुफाएं 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से महेश मूर्ति गुफ़ा प्रमुख गुफा है।
= एलीफेंटा की कुल सात गुफाओं में 5 गुफा हिन्दू और अन्य 2 गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। महेश मूर्ति गुफा, हिन्दू गुफाओं में सबसे प्रमुख गुफा है, जिसमें बने 26 खंभों में भगवान शंकर के अलग-अलग रुपों को बेहद शानदार ढंग से उकेरा गया है।
= एलीफेंटा गुफा की सबसे रोचक बात यह है कि यहां हिंदू धर्म के कई अलग-अलग देवी-देवताओं कि मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
= 60,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैली एलीफेंटा गुफा में स्थित मंदिर पहाडिय़ों को काटकर बनाए गए हैं।
= एलीफेंटा गुफा में भगवान शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे विशाल और पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केन्द्र है। इस मूर्ति में भगवान शिव के तीन रुपों का बेहद उत्कृष्ट तरीके से चित्रण किया गया है। यह विशाल त्रिमूर्ति करीब 23 या 24 फीट लम्बी और 17 फीट ऊंची है।
= एलीफेंटा गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन तरफ से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों के द्वारा सहारा दिया जाता है।
= इस गुफा में भगवान शिव की अर्धनारीश्वर प्रतिमा भी स्थापित हैं, इस प्रतिमा में बायां अंग स्त्री और दायां अंग पुरुष रुप में दर्शाया गया है।
= एलीफेंटा गुफा में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों के कारण इन्हें ‘टैम्पल केव्स’ भी कहा जाता हैं। यहां पर शिव-पार्वती के विवाह समेत रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने एवं शिव के नटराज रुप का बेहद आर्कषक चित्रण किया गया है।
= अपनी अद्भुत शिल्पकारी एवं एतिहासिक महत्व की वजह से साल 1987 में यूनेस्को द्वारा एलिफेंटा गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। वहीं इस गुफा में गेटवे ऑफ इंडिया से बोट द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
= वर्तमान में एलीफेंटा गुफा की देखरेख भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा है।