केंद्रीय नेतृत्व के साथ मंथन कर रहे मनोहर
अशोक छाबड़ा, जींद। कैबिनेट के सदस्यों पर अभी भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। इसमें मंत्रियों के विभागों को लेकर सबसे अधिक पेंच फंसा हुआ है। यही कारण है मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला दिल्ली में ही डटे हुए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं से भी कई दौर की बातचीत की। हरियाणा की नई भाजपा-जजपा सरकार में अभी मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ही हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन की हरियाणा भवन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात हुई। खुद मुख्यमंत्री भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मिलने गए। नई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार अब 4 नवंबर को विधानसभा के विशेष सत्र के बाद ही होगा। नई सरकार के दोनों घटक दलों को न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन भी करना है। संभवत यह कमेटी विधानसभा के सत्र के बाद गठित कर ली जाए। इस कमेटी के जरिए ही नए मंत्रियों के नाम और अन्य मुद्दे तय किए जाएंगे। जननायक जनता पार्टी को कैबिनेट विस्तार की जल्दबाजी नहीं है। पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला के रणनीतिकार चाहते हैं कि भाजपा इस मुद्दे पर अपने पत्ते खोले। भाजपा जिलों, क्षेत्रों व जातीय समीकरणों के आधार पर इस बार मुख्यमंत्री के अलावा एक महिला सहित दो पंजाबी, तीन वैश्य, एक अहीर, दो अनुसूचित जाति, एक गुर्जर, दो जाट, एक ब्राह्मण को मंत्री देना चाहती है। इसमें जजपा के खाते के तीन मंत्रियों के अलग होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर भाजपा समायोजित करेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से नई दिल्ली में मंत्री पद की आस लेकर मिलने वाले विधायकों को भी अभी यही कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत होने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल का विस्तार तीन चरणों में होगा। पहले चरण में जजपा सिर्फ एक ही मंत्री शामिल कराएगी ताकि भाजपा की रणनीति सामने आ सके। भाजपा पहले चरण में एक या दो निर्दलीयों को भी मंत्रिमंडल में लेने पर विचार कर सकती है।
विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के नाम तय करने होंगे<
भाजपा-जजपा सरकार को अब विधानसभा सत्र की तैयारियों में जुटना होगा। वैसे तो इस सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के अलावा नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ होनी है, लेकिन सबसे अहम विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। भाजपा के रणनीतिकार इन दोनों पदों पर अपने दल के विधायकों को आसीन करना चाहते हैं। 2014 के चुनाव में जब भाजपा के 47 विधायक चुने गए थे तब भी पार्टी के रणनीतिकारों ने उपाध्यक्ष पद गैर सत्तारूढ़ दल को नहीं दिया था। इसी तरह इस बार भाजपा दोनों पदों पर अपने विधायकों को बैठाना चाहते हैं। इसके लिए सबसे उपयुक्त नामों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर, पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता, हिसार के विधायक कमल गुप्ता का नाम आ रहा है। पार्टी के रणनीतिकार यह चाहते हैं कि भाजपा के हित में कंवरपाल गुर्जर ही दोबारा विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाएं, क्योंकि उन्होंने पिछले पांच साल विपक्ष के साथ समन्वय बनाकर सदन चलाया था। हालांकि खुद कंवरपाल गुर्जर इसके लिए तैयार नहीं हैं। वह इस बार मंत्रिमंडल में स्थान चाहते हैं।
सीएम ने की पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को सुबह पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद सीएम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। हालांकि इसे शिष्टाचार मुलाकात बताई जा रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम की दोनों नेताओं से मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर चर्चा की है। सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ के बाद अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि मंत्रीमंडल में किसे-किसे जगह मिलेगी।
अफसरशाही में बड़े फेरबदल की बारी
हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद अब अफसरशाही में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अफसरों समेत सीनियर आइएएस और आइपीएस अधिकारियों को नए सिरे से जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। सीएमओ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पसंदीदा अफसरों के साथ ही उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पसंद के भी अफसरों का दखल रहेगा। कई जिलों में दुष्यंत की पसंद के आइएएस और आइपीएस की पोस्टिंग तय है। विधानसभा चुनाव से पहले एक ही स्थान पर तीन साल से अधिक समय से जमे या फिर अपने गृह जिलों में तैनात अफसरों को चुनाव आयोग के निर्देश पर दूसरे जिलों में भेजा गया था। इसके अलावा हरियाणा सचिवालय में तैनात वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों में भी बड़े स्तर पर फेरबदल हुआ। अब यह अधिकारी फिर से पुराने पदों पर लौटने की जुगत में हैं। सबसे बड़ा बदलाव सीएमओ में होना है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव दीपक मंगला अब विधायक बन चुके। ऐसे में उनकी जगह किसी नए व्यक्ति को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। अमूमन नई सरकार में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी नए ही होते हैं, लेकिन मौजूदा प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के सरकार से बेहतरीन सामंजस्य और मुश्किलों का तोड़ निकालने का कारगर कौशल उनके लिए ढाल बनेगा। मुख्यमंत्री की पहली पारी में कर्मचारी आंदोलनों सहित कई मौके आए जब संकट में पड़ी सरकार को खुल्लर ने बड़ी होशियारी से मुसीबत से बाहर निकाला। ऐसे में वह इस पद पर बरकरार रहेंगे, यह लगभग तय है। प्रशासनिक और पुलिस अफसरों में बड़ा तबका ऐसा है जो चौटाला परिवार के 15 साल के राजनीतिक वनवास के बावजूद अंदरखाते उनसे जुड़ा रहा। अब विभिन्न सरकारों में हाशिये पर रहे यह अफसर अब महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होंगे। कई जिलों में डीसी-एसपी दुष्यंत चौटाला की पसंद के होंगे तो चंडीगढ़ में भी अहम पदों पर उनके नजदीकी अफसर तैनात किए जाएंगे।