खट्टर, हुड्डा, अभय, दुष्यंत, कुलदीप समेत कई नेताओं के भाग्य का फैसला, मतदाताओं की खामोशी व एग्जिट पोल ने बढ़ाई प्रत्याशियों की धडकऩ, कोई भी राजनीतिक दल पूर्ण बहुमत के प्रति नहीं आश्वस्त
अशोक छाबड़ा, जींद। हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम प्रदेश की राजनीति के कई दिग्गजों का भविष्य तय करेंगे। विधानसभा की दहलीज चूमने का दावा यूं तो हर पार्टी और उम्मीदवार कर रहा है लेकिन, जिस तरह के उलझाऊ एग्जिट पोल सामने आ रहे हैं उससे वोट करने वाले मतदाता से लेकर उम्मीदवार और उनकी पार्टियां तक अंदर से कन्फ्यूज हो रही हैं। यह चुनाव परिणाम हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, इनेलो नेता अभय चौटाला, जजपा नेता दुष्यंत चौटाला, कुलदीप बिश्नोई के अलावा कई नेता ऐसे हैं जिनका भविष्य 24 को घोषित होने वाला चुनाव परिणाम तय करेगा। सबसे बड़ा सवाल सत्तारूढ़ बीजेपी को लेकर हो रहा है जो हालिया लोकसभा चुनाव में 90 में से 79 सीटों पर बढ़त लेने के बाद इस बार मिशन 75 प्लस का नारा लेकर चुनावी मैदान में उतरी। पिछले चुनाव में चंडीगढ़ को जाने वाली इसी जीटी रोड ने ही बीजेपी को बिना रोकटोक के आसानी से सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा दिया था। लोकसभा चुनाव नतीजों से आत्म विश्वास में आई बीजेपी ने अपने मिशन के लिए तमाम जतन किए। पार्टी ने जीटी रोड के साथ-साथ जाटलैंड, दक्षिण हरियाणा और सेंट्रल हरियाणा पर फोकस किया। दूसरे दलों से ऐसे नेताओं की तलाश कर अपने साथ मिलाया जो अपने इलाकों में मजबूत दिखे। इससे पहले पार्टी ने योजनाबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में जनसंपर्क यात्रा निकाल कर हवा बनाने की कोशिश की। इसका असर यह हुआ कि विभिन्न दलों के तीसरी और चौथी पंक्ति के नेताओं की भीड़ भी बीजेपी के कुनबे में जुड़ गई। बरसों तक गुटबाजी के दलदल में फंसी कांग्रेस अब 42 सीटों के जीतने का दावा करते हुए सरकार बनाने का दावा कर रही है। इसको लेकर कांग्रेस के अपने तर्क भी हैं। नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का विश्लेषण है कि पार्टी के पास टाइम कम और काम ज्यादा था। बावजूद इसके काफी सोच समझ कर उम्मीदवार उतारे। पार्टी का घोषणापत्र सामने आते ही वोटर ने कांग्रेस को संजीदगी से लिया। बेरोजगारी के मुद्दे को पार्टी ने प्रमुखता से उठाया तो किसानों के मुद्दे भी उठाए। चुनाव से पहले बेशक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा की टीम मैदान में उतरी लेकिन, गुटों में बंटी पार्टी को एकजुट करने के मामले में उसे काफी पापड़ बेलने पड़ गए। हरियाणा के दिग्गज चौटाला परिवार से टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरी थी। उसका आत्म विश्वास कुछ समय पहले जींद विधानसभा उपचुनाव में दूसरे नंबर पर आने के साथ बन गया था। पार्टी लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन, कुछ सीटों पर भविष्य के लिए अच्छे संकेत मिले। अब जेजेपी किंगमेकर होकर सत्ता की चाबी अपने हाथ से देने का ख्वाब पाले हुए हैं। पार्टी ने कुछ सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारकर मुकाबला तिकोना तक बनाने के लिए मेहनत की। पार्टी ने युवाओं, किसानों और महिलाओं पर फोकस कर बड़े वोट बैंकों को जोडऩे का प्रयास किया।