वकील जैन, सोनीपत। भारतीय संविधान दुनिया के उन मुख्य संविधानों में से है जो महिला-पुरूष सम्मानता की बात करता है। भारतीय संविधान में सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक रूप से महिलाओं को पुरषों के समान अधिकार प्राप्त है, लेकिन बिडबंना इस बात है कि आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों को प्राप्त करने और अपने सम्मान के लिए लड़ना पड़ रहा है। आज भी हम नारी शक्ति व नारी सम्मान की बात तो करते हैं, लेकिन जब महिलाओं के लिए त्याग की बात सामने आती है तो आज भी भारतीय पुरुषों के कदम पीछे की ओर हट जाते हैं। अपने विकास और वृद्धि के लिए महिलाओं को हर पल मजबूत, जागरूक और चौकना रहने की जरूरत है। एक सशक्त महिला अपने बच्चे के भविष्य को बनाने के साथ ही देश का भविष्य भी सुनिश्चत करती है। -सुमनलता असिटेंट प्रो. राजकीय कालेज मुरथल<