भाजपा, कांग्रेस, इनेलो व जजपा ने उतारे सर्वाधिक जाट, लोसुपा ने एक भी जाट को नहीं दिया टिकट, लोसुपा व बसपा ने पिछड़ों व दलितों को सर्वाधिक टिकट से नवाजा
अशोक छाबड़ा, जींद़। हरियाणा में जैसे-जैसे चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। वैसे-वैसे सभी राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों को आधार बनाकर चुनाव प्रचार को आगे बढ़ा रहे हैं। हरियाणा के चुनावी परिदृश्य पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो सार्वजनिक मंचों से जातिवाद का विरोध करने तथा एक-दूसरे पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाले सभी राजनीतिक दल इस मामले में दागी हैं। हरियाणा के चुनावी रण में इस समय कुल 1168 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। राज्य में मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में हैं। उक्त सभी दलों ने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारते समय जातिगत समीकरणों को पूरा ध्यान रखा है। हरियाणा में पिछले कुछ वर्षों से जाट और गैरजाट की राजनीति चल रही है। लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ऐसे राजनीतिक दल हैं, जिन्होंने टिकट आबंटन के मामले में दलितों व पिछड़ों पर ही फोकस रखा है। जातिगत समीकरणों को देखा जाए तो जहां सभी राजनीतिक दलों ने जाट समुदाय पर अपना ध्यान केंद्रीत किया है। वहीं जाट आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा से अलग होने वाले पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने एक भी जाट प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। भाजपा को भले गैर जाटों की सरकार कहा जाता है, लेकिन इस बार के चुनावी रण में भाजपा ने सबसे अधिक 20 जाटों को चुनाव मैदान में उतारा है, जोकि 90 विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार 22.22 प्रतिशत बनता है। इसी तरह कांग्रेस ने 27 तो जननायक जनता पार्टी व इंडियन नेशनल लोकदल ने सबसे अधिक 34-34 जाट प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में 15 जाट प्रत्याशी उतारे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने छह जाट प्रत्याशियों को इस चुनाव मैदान में उतारा है। इस चुनाव में लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने सबसे अधिक नौ ब्राह्मणों को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में जहां सात, कांग्रेस ने पांच तो जननायक जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी ने छह-छह ब्राह्मण उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। इनेलो ने ब्राह्मण समुदाय के चार तो बहुजन समाज पार्टी ने पांच ब्राह्मणों पर भरोसा करते हुए चुनाव में टिकट दिए हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान भारतीय जनता पार्टी को गैर जाट अथवा पंजाबियों की सरकार के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। इसका असर चुनाव में भी दिखाई दे रहा है। भाजपा ने सबसे अधिक नौ पंजाबियों को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने पांच, कांग्रेस ने दो, इनेलो ने दो, जजपा ने एक तथा लोसुपा ने एक पंजाबी को टिकट दिया है। दक्षिण हरियाणा में यादव समुदाय की संख्या अधिक होने के कारण सभी राजनीतिक दलों ने दक्षिण में यादवों को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा, कांग्रेस तथा जननायक जनता पार्टी ने इस चुनाव में छह-छह, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने तीन तो इंडियन नेशनल लोकदल ने यादव समुदाय के दो तो आम आदी पार्टी ने यादव समुदाय के एक प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है।
राजनीतिक दलों कुछ इस तरह से उतारे हैं प्रत्याशी
जाति भाजपा कांग्रेस जजपा लोसुपा इनेलो बसपा आप
जाट 20 27 34 00 34 08 15
ब्राह्मण 07 05 06 09 03 04 06
दलित 17 18 18 23 16 26 10
पंजाबी 09 02 01 01 02 01 05
पिछड़ा वर्ग 16 25 22 35 18 12 04