हरियाणा विस चुनाव-2019 : चुनावी रण में सबसे अधिक टिकटों की मारामारी भाजपा में
>टिकटों के लिए भाजपा में फिलहाल त्रि-स्तरीय सर्वे चल रहा, संघ-शाह और सीएम की कसौटी पर परखे जा रहे टिकटार्थी
अशोक छाबड़ा, जींद। प्रदेश में आने वाला विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती साबित होने वाला है। सत्ताधारी भाजपा के लिए जहां 75 पार का लक्ष्य हासिल करना चुनौती माना जा रहा है। वहीं विपक्षी दलों के लिए एक-दूसरे से आगे निकलना एवं पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करना किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव की तारीखों में जैसे-जैसे देरी हो रही, वैसे-वैसे पार्टी में टिकट के लिए लॉबिंग बढ़ रही है। चुनावी रण में ताल ठोंकने को सबसे अधिक टिकटों की मारामारी सत्तारूढ़ भाजपा में मची है। पार्टी के मौजूदा विधायक, दूसरे दलों से आए पूर्व विधायक और भाजपा के काडर बेस कार्यकर्ता जहां टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता लोगों के बीच सरकार के पांच साल का हिसाब किताब लेकर पहुंचे हुए हैं। टिकटों के लिए भाजपा ने फिलहाल त्रि-स्तरीय सर्वे चल रहा है। इसके तहत टिकट चाहने वालों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कसौटी पर परखा जा रहा है, जिसमें पास होने वाले दावेदारों को ही टिकट मिलेंगे। इस सर्वे में पास होने वालों के टिकटों का ऐलान 25 सितंबर के बाद संभव है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जन आशीर्वाद यात्रा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विजय संकल्प रैली के बाद भाजपा ने राज्यभर में महा जनसंपर्क अभियान चलाया था। अभियान के आखिरी दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल पंचकूला में कई प्रमुख व्यक्तियों से मिले और उन्हें अपनी सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराया। भाजपा का मानना है कि यह वर्ग वह है, जो समाज में पाजीटिव माहौल तैयार करता है। इस दौरान पार्टी में टिकटों के बढ़ते दावेदारों के चलते भाजपा ने त्रि-स्तरीय सर्वे शुरू कराया है। भाजपा में एक सर्वे मुख्यमंत्री मनोहर लाल की टीम कर रही है, जबकि दूसरा सर्वे आरएसएस के द्वारा कराया जा रहा है। तीसरा सर्वे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से हो रहा है। जिन दावेदारों के नाम इन तीनों सर्वे में मेल खाएंगे, उनके टिकट लगभग तय हैं। सर्वे में मिलान नहीं होने पर उन्हीं नेताओं को टिकट मिलेंगे, जो जीतने की स्थिति में होंगे तथा जातीय समीकरणों में फिट बैठेंगे।
विपक्ष के हलकों पर भाजपा की पैनी निगाह
भाजपा की निगाह उन विधानसभा क्षेत्रों पर अधिक है, जहां विपक्ष के विधायक चुनाव जीतकर आए थे। उदाहरण के लिए कलायत से आजाद विधायक जय प्रकाश जेपी के कांग्रेस में शामिल होने की स्थिति में यहां भाजपा किसी काडर बेस दमदार नेता को चुनाव मैदान में उतारेगी। भाजपा में यहां हरियाणा पर्यावरण अपीलेट अथारिटी के सदस्य डा. सुखदेव कुंडू और धर्मपाल शर्मा प्रमुख दावेदार हैं। पिहोवा में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती को आगे किया जा सकता है। भाजपा का पूरा जोर फिलहाल उन हलकों में जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश पर है, जहां विपक्ष का कब्जा रहा है। 90 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायक भाजपा के चुनकर आए थे, जो जींद उपचुनाव जीतने के बाद 48 हो गए। दूसरे दलों के 10 विधायक विधानसभा की सदस्यता छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
टिकटों में बदलाव की पूरी संभावना
मिशन 75 पार का लक्ष्य हासिल करने में जुटी भाजपा इस बार अपने कई चेहरे बदल सकती है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अधिकतर पुराने चेहरे बदल डाले थे। 2009 के चुनावी रण में ताल ठोंक चुके पांच 67 पुराने उम्मीदवारों को भाजपा ने 2014 में टिकट नहीं दिए थे, सिर्फ 23 पुराने नेताओं पर ही भरोसा जताया था। भाजपा के 2014 के चुनाव में नए चेहरे-मोहरों में 27 उम्मीदवार दूसरे दलों से आए नेता बने थे। पार्टी ने 22 युवाओं और 15 महिलाओं को टिकट दिए थे। 2014 के चुनाव में भाजपा ने 25 जाट,17 अनुसूचित जाति, 16 ओबीसी, दो मुस्लिम, नौ ब्राह्मïण,आठ पंजाबी, आठ वैश्य, दो सिख और तीन अन्य जातियों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। इस बार भी टिकटों में बदलाव की पूरी संभावना है।
पिछले चुनाव में यह था परिदृश्य
अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 47 सीटों पर जीत मिली थी। इनैलो-शिअद गठबंधन को 20, कांग्रेस को 15, हजकां को 2, बसपा को 1 सीट पर जीत मिली थी। 5 आजाद विधायक बने थे। जींद उपचुनाव में जीत के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 48 हो गई थी। हजकां के कांग्रेस में विलय के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 17 हो गई थी।