गर्व के साथ हिन्दी भाषा का करे उपयोगः नैन्सी सहाय
देवघर (झारखंड)। हिन्दी दिवस के अवसर पर समाहरणालय सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय द्वारा किया गया। इस अवसर पर उप-विकास आयुक्त शैलेन्द्र लाल, अपर समाहर्त्ता चंद्र भुषण सिंह, डीआरडीए डायरेक्टर श्रीमती नयनतारा केरकेट्टा, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी रवि कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश, जिला परिवहन पदाधिकारी फिलबियूस बारला एवं अन्य पदाधिकारी के साथ-साथ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय ने सभी जिलेवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि हमें गर्व और पूरे आत्म सम्मान के साथ हिन्दी का उपयोग करना चाहिए। हिन्दी बोलने में जो असहजता महसूस करते है, उसे अपने भीतर से दूर करें। भाषा संचार का एक सशक्त माध्यम है। भाषा वह माध्यम है, जिससे कोई भी समाज अपना ज्ञान, संस्कृति और संस्कार भावी पीढ़ियों तक पहुंचाता है। प्राचीन समय से लेकर वर्तमान समय तक हिन्दी भाषा के स्वरूप में काफी परिवर्तन आया है, परन्तु इसकी महत्ता आज भी उतनी हीं महत्वपूर्ण है। 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिन्दी हमारी राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने हेतु 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस पूरे देश में मनाया जाता है। बाद के समय में दूरदर्शन, हिन्दी सिनेमा जगत के आ जाने से हिन्दी का व्यापक प्रचार-प्रसार करने में काफी सहायता मिली। हर भाषा नया ज्ञान लाती है परन्तु प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम मातृभाष ही होना चाहिये। देश की भाषायी एकता के लिए यह स्वर्णिम अवसर है जब हिन्दी और भारतीय भाषाओ के बीच समृद्ध और स्वस्थ्य समन्वय स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा का प्रयोग एवं इसका प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर हो रहा है। साथ हीं हम सभी के सामुहिक प्रयास से अपनी मातृभाषा को एक नई पहचान दिला पाएंगे। बीना किसी हिचक के अपनी मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिये तभी सही मायने में हिन्दी भाषा का जो उद्देश्य है वो फलीभूत हो पायेगा। कार्यक्रम के दौरान चर्चा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि हिंदी भारत माता की अभिव्यक्ति का अनंत आकाश है। यह मात्र भाषा नहीं बल्कि हमारे देश की आत्मा है। हमारी संस्कृति की तसवीर हिंदी के आईने में ही स्पष्ट नजर आती है। हमारे साहित्यकारों ने हिन्दी को सजाया और कलम की स्याही से सीचा। हिन्दी दिवस हिन्दी के गौरव को कायम रखने का प्रण है। हिन्दी भावरूपी गंगा है जिसमे डुबकी लगाकर मानवता का मोती प्राप्त होता है। हम सब हिन्दी के प्रति श्रद्धा भाव रखें। कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी भाषा को सीख व समझ सकता है लेकिन आवश्यक है कि लोग अपनी भाषा और अपनी पहचान को सबसे आगे रखें। कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकगण से उपायुक्त द्वारा अपील की गई कि वे अपने विद्यालयों में सभी विषयों के साथ-साथ हिंदी विषय को भी पढ़ाएँ परंतु अन्य विषयों से अधिक महत्व अपनी मातृभाषा हिंदी को दें। साथ ही अपने स्कूलों व कॉलेजों में हिन्दी दिवस से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर करते रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया की सभी भाषाओं को अपने में समाहित करने वाला हिंदी भाषा है। दूसरे देश के लोग शांति की खोज में भारत आते हैं। वे यहाँ के हरिद्वार, गंगा घाट, काशी आदि जगहों पर जाकर हमारी भाषा व संस्कृति को सीखने का प्रयास करते हैं। जब विदेशी लोग हमारे भारतीय धरोहर को अपना रहे हैं तो हम स्वयं ऐसा क्यों न करें। कार्यक्रम के दौरान अपर समाहर्ता श्री चंद्र भूषण सिंह द्वारा हिन्दी दिवस के मौके पर बतलाया गया कि किसी भी भाषा के प्रयोग में किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता नहीं है। हर देश, राज्य की अपनी भाषा होती है। उस देश राज्य के विकास मे उस भाषा का अपना महत्व होता है। उसी प्रकार हमारे देश मे हिन्दी भाषा का योगदान है। हम सबको मिलकर अधिक से अधिक हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिये। इसके अलावे जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी रवि कुमार ने हिन्दी हमारी मातृभाषा है यह सभी के लिए गर्व की बात है। हिन्दी एक सशक्त भाषा है इसके माध्यम से हम अपनी बातों एक-दूसरे तक बड़े हीं आसानी से पहुंचा सकते हैं। वैसे तो भारत विभिन्नताओं वाला देश है यहां हर राज्य की अपनी अलग संस्कृति और ऐतिहासिक पहचान है। यहीं नहीं सभी जगहों की बोल-चाल की भाषा भी अलग है। इसके बावजूद हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। इस अवसर पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी श्री प्रवीण प्रकाश ने बतलाया कि हिन्दी भाषा सरल भाषा है, इसे आमजन आसानी से समझ सकते है और बोलचाल की भाषा में भी प्रयोग करते है। हिन्दी से ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारी राष्ट्र भाषा हमें विश्व के मानस पटल पर अलग पहचान दिलाती है। इस परिचर्चा में जिले के विभिन्न पदाधिकारीगण, समाहरणालय कर्मी एवं मीडिया के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे, जिनके द्वारा हिन्दी की महत्ता बतलाई गई एवं सभी को हिन्दी के इतिहास रूबरू भी कराया गया। इन सभी के द्वारा बतलाया गया कि हम सब मिलकर हिन्दी के विकास की जिम्मेवारी उठानी होगीय व्यापक स्तर पर इसका प्रयोग करना होगा तभी हम हिन्दी भाषा को विकास के एक नये आयाम तक पहुंचा पायेंगे। उपरोक्त के अलावे इस परिचर्चा में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी परमेश्वर मुण्डा, जिला कल्याण पदाधिकारी बी0बी0 रॉय, जिला लेखा पदाधिकारी रवि रौशन, कोषागार पदाधिकारी उमेश चंद्र दास, कार्यालय अधीक्षक अवेश राजहंस के साथ-साथ अन्य पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।