अंग्रेजी हुकुमत के समय बने खंडहर कुएं का जीर्णोंद्वार कर बनाया सेल्फी प्वांइट
राजेंद्र कुमार, सिरसा। हरियाणा में सिरसा के गांव लुदेसर में ब्रिटिश शासन काल में बने ऐतिहासिक कुएं का जीर्णोंद्वार किया गया है। अब से पहले खंडहर हालात में भय का साया बना यह कुंआ जहां आकर्षण व सेल्फी प्वांइट बन गया है। बता दें कि दूसरे विश्वयुद्ध 1939-45 में इस गांव के 101 सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था जिनमें से लेने 11 सैनिक देश के लिए शहीद हुए ब्रिटिश सरकार ने खुश होकर गांव में कुआं बनाने के लिए 5 हजार रुपये की राशि दी थी। गांव की युवा सरपंच योगेश कुमारी ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध 1914-19 के समय लुदेसर गांव की आबादी 400 थी। उस समय 42 जवान सेना में भर्ती थे। गांव में करीब हर परिवार से सैनिक था। सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की ओर से महायुद्ध में भाग लिया। ब्रिटिश सरकार ने खुश होकर बहादुरों के सम्मान में वर्ष 1921 में वार मैमोरियल स्थापित करवाया। वहीं दस साल के लिए गांव का आबियाना माफ किया गया। इसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध 1939-45 में गांव के 101 सैनिकों ने भाग लिया और विभिन्नों देशों में हुए युद्ध में भाग लिया। गांव के 11 सैनिक देश के लिए शहीद हुए। तब गांव में एक ओर स्मारक बनाया गया। ब्रिटिश सरकार ने खुश होकर गांव में कुआं बनाने के लिए 5 हजार रुपये की राशि दी। इस कुएं से पास-पड़ोस के करीब आधा दर्जन गावों के लोग अपनी व मवेशियों की प्यास बुझाते थे। सरपंच योगेश कुमारी ने बताया कि आजादी के बाद गांव में जलघर बना तो धीरे-धीरे इस कुएं का उपयोग घट गया जिससे शनै:शनै:यह खस्ता होता चला गया। कुएं के जर्जर अवस्था में चले जाने से आए रोज इसमें बच्चों या मवेशियों के गिरने का भय सताता रहता था। पंचायत ने इसे गांव की पुरानी धरोहर व शान मानते हुए इसके जीर्णोंद्वार का निर्णय लिया और कुआं का सौंदर्यकरण करवाते हुए इसे सेल्फी प्वांइट बना दिया। इस कुआं के पास बस स्टैंड, शहीदी स्मारक, तालाब व श्रीकृष्ण प्राणमी गोशाला बनी हुई है। यहां पर दिनभर लोगों का आना जाना लगा रहता है। जो लोग आज तक इस कुंएं के पास आने से कतराते थे आज खुशी-खुशी सेल्फी ले रहे हैं। गांव के अलावा वहां से गुजरने वाले पास-पड़ोस के गांवों के युवक भी यहां सेल्फी के लिए आ रहे हैं। जिला उपायुक्त अशोक गर्ग ने इस धरोहर को बचाने व सौंदर्यकरण के लिए गांव की सरपंच योगेश कुमारी की पीठ थपथपाई है।