गंभीर दुष्परिणामों से बचने के लिए जल संरक्षण अनिवार्य : कत्याल
अमन अटकान, सोनीपत। जीवीएम गर्ल्ज कालेज की भूगोल की प्राध्यापिका रजनी कत्याल ने कहा कि हिंदुस्तान में पेयजल मात्र 0.3 प्रतिशत ही शेष है, लेकिन फिर भी हम जल दोहन पर लगाम नहीं लगा रहे हैं। भविष्य में गंभीर दुष्परिणामों से बचने के लिए अनिवार्य रूप से जल संरक्षण करना होगा। इस मौके पर संस्था के प्रधान डा. ओपी परूथी व प्राचार्या डा. ज्योति जुनेजा ने भी जल संरक्षण के लिए छात्राओं को प्रोत्साहित किया। प्राध्यापिका रजनी कत्याल वीरवार को जीवीएम गर्ल्ज कालेज में आयोजित सेमिनार में उपस्थित छात्राओं को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थी। सेमिनार का आयोजन उन्नत भारत अभियान प्रकोष्ठ के संयोजन में जल शक्ति अभियान के अंतर्गत किया गया। प्रकोष्ठ की संयोजक डा. मंजूला सपाह ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वच्छता पखवाड़े के तहत जल संरक्षण अभियान के अंतर्गत यह आयोजन किया गया है। संयोजक डा. मंजूला ने जल संरक्षण तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग विषयों पर सेमिनार आयोजित किया। रेन वाटर हार्वेस्टिंग विषय पर छात्राओं को संबोधित करते हुए प्राध्यापिका रजनी कत्याल ने जल संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज एक सख्त नीति बनाकर जल की हर एक बूंद का संरक्षण करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से घर के अंदर और घर के बाहर जल संरक्षण किया जा सकता है। सेमिनार की दूसरी प्रमुख वक्ता के रूप में ईवीएस प्राध्यापिका पूजा सरोहा ने जल संरक्षण विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि पृथ्वी दो प्रकार के पारितंत्र में बंटी हुई है, जिसमें भूमिगत पारितंत्र व जल पारितंत्र है। जल पारितंत्र दो प्रकार से स्थापित है। एक ताजा जल व दूसरा समुद्री जल। आज प्रमुख रूप से ताजा जल का संरक्षण अनिवार्य हो चला है। प्रदूषण के कारण ताजा जल दूषित होता जा रहा है। यदि जल संरक्षण नहीं किया गया तो भविष्य में जल की एक-एक बूंद के लिए तरस जायेंगे। सुरक्षित कल के लिए आज से ही जल संरक्षण करना होगा। कार्यक्रम के अंत में संयोजक डा. मंजूला ने दोनों वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।