भाजपा सांसद, मंत्री, विधायक भी टिकटों की लाबिंग में जुटे
अशोक छाबड़ा, जींद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जलवे के बीच हरियाणा के अधिकतर सांसद अपने परिवार के सदस्यों की नैया पार लगाने की जुगत में हैं। राज्य की सभी दस लोकसभा सीटों पर भाजपा सांसदों ने औसत साढ़े तीन लाख मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं। अब यह सांसद चाहते हैं कि मोदी लहर में उनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी चुनाव वैतरणी पार कर विधानसभा पहुंच जाएं। अपने बेटे, बेटियों, परिवार के सदस्यों तथा खास रिश्तेदारों के लिए इन सांसदों ने टिकट की लाबिंग शुरू कर दी है। राज्य के 10 सांसदों में से आठ अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। सोनीपत से भाजपा सांसद रमेश कौशिक अपने परिवार के लिए टिकट मांग रहे हैं, जबकि कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी अपनी पत्नी को विधानसभा में भेजना चाहते हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे के लिए टिकट की लाबिंग कर रहे, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत बेटी के लिए टिकट की मजबूत तथा दमदार ढंग से पैरवी करने में जुटे हैं। अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया चाहते हैं कि उनकी पत्नी बंतो कटारिया हरियाणा विधानसभा में चुनकर पहुंचे। बंतो कटारिया हालांकि भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता हैं और महिला विंग के साथ-साथ मुख्य प्लेटफार्म पर भी काम करती हैं, लेकिन उनकी टिकट के लिए पति रतन लाल कटारिया लाबिंग में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव में भी रतन लाल के स्थान पर बंतो कटारिया का नाम कुछ दिन चला, लेकिन पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया। भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौ. धर्मबीर चाहते हैं कि उनके भाई को विधानसभा का टिकट मिले। धर्मबीर पिछले तीन दशक से उनके साथ जुड़े अपने एक अजीज कार्यकर्ता के लिए भी पुरजोर पैरवी कर रहे हैं। इस कार्यकर्ता को हलके में मुनीम के नाम से जाना जाता है। भाई और मुनीम की टिकट में सफलता नहीं मिली तो गुर्जर नेता पाले राम के लिए चौ. धर्मबीर पैरवी करते नजर आ सकते हैं। यहां से भाजपा के मुकेश गौड़ भी टिकट के प्रबल दावेदार हैं। करनाल के सांसद संजय भाटिया और सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल दोनों ऐसे सदस्य हैं, जिनकी अपने परिवार के किसी सदस्य की टिकट में कोई रुचि नहीं है। संजय भाटिया की गिनती टिकट देने वालों में होती है। हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। बीरेंद्र सिंह के साथ-साथ सांसद बृजेंद्र सिंह अपनी मां प्रेमलता के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं। प्रेमलता इस बार की विधानसभा में भी उचाना से विधायक हैं। रोहतक के सांसद डा. अरविंद शर्मा अपनी पत्नी को राजनीति में आगे कर रहे हैं। अरविंद शर्मा ने आज तक जितने भी चुनाव लड़े, उनकी पत्नी ने आगे बढ़कर काम किए। दांव लगा तो अरविंद शर्मा इस बार अपनी पत्नी को चुनावी रण में उतार सकते हैं। हरियाणा में आधा दर्जन मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसे हैं, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जिसे चाहेंगे,पार्टी में उसे ही टिकट मिलेगा। विधायकों व मंत्रियों की टिकट कटेगी अथवा उन्हें दोबारा चुनावी रण में उतारने का फैसला सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री का ही होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास हर विधानसभा क्षेत्र में संभावित उम्मीदवारों कै पैनल पहुंच गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने के लिए मनोहर लाल दिल्ली में आरएसएस के प्रमुख नेताओं तथा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करने जा सकते हैं। मुख्यमंत्री के पास हर हलके का कच्चा पैनल है। इन पैनल पर चर्चा करने के साथ ही पार्टी की चुनावी रणनीति पर मनोहर लाल दिल्ली दरबार में मंथन करेंगे।<