महाशिव रात्रि पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर किया जलाभिषेक
जल, दूध, दही, शहद, खांड पंचामृत से रुद्रा अभिषेक किया
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। जिले में शिव रात्रि का पर्व हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। जिले के सभी मंदिरों में सुबह तड़के से ही भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइन लग गई थी। सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर मंगलवार को महा शिवरात्रि के पावन दिवस पर अनंत भंडारा लगाया गया। पौराणिक शिव मंदिर 170 शिव भक्तों ने कावड़ चढ़ाई और जल, दूध, दही, शहद, खांड से पंचामृत से रुद्रा अभिषेक किया गया। सूरज शास्त्री ने कहा कि पंचामृत लाभकारी मिश्रण है, इसके सेवन से तन निरोग रहता है। पंचामृत में तुलसी की पत्तियां और डाले और रोजाना इसका सेवन किया जाये तो मान्यता है कि कोई भी बिमारी आपके पास नहीं आएगी, त्वचा संबंधी रोगों से आप बचे रहेंगें। यदि आपका इम्युनिटी सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो भी आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। पंचामृत के नियमित सेवन से आप इसमें सुधार का अहसास करेंगे। पंचामृत के सेवन से आप फैलने वाली बिमारियों यानि संक्रामक रोगों से भी काफी हद तक बचेंगे। इससे आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता में चमत्कारिक रूप से सुधार होता जाएगा।शिव भक्तों ने जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। प्रदीप राठी गन्नौर एवं खेड़ी गुज्जर निवासी शिव भक्त सुरेश जैन अपनी समर्पित सेवाएं अर्पित की। भंडारा में योगदान दिया। सूरज शास्त्री व पवन शास्त्री ने रुद्राभिषेक करवाया। पीठाधीश्वर महंत राजेश महाराज के सांन्निध्य में शिव कावड़ शिविर में आने वाले भोले भक्तों की सेवा की गई। शिव कावड़ शिविर का समापन पर पीठाधीश्वर महंत राजेश्वर महाराज के शुभ आशीर्वाद लिया। महाराज श्री ने कहा कि शिव कल्याणकारी है इसकी अराधना सबसे सरल है, शिव सबसे जल्द अपने भक्तों पर राजी होते हैं। जो भी भक्त जिस भी मंगल कामना के साथ कांवड़ लेकर आए हैं, यह परम सौभाग्यशाली क्षण है। महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने वालों को हर काज संवरता है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर लगे मेले में व्यवस्थाओं को सुन्दर स्वरुप देने वाले प्रबंधन समिति के सदस्य सूरज शास्त्री के मागर्दशन में सरवर, जनेश्वर, ब्रह्मपाल, रामनिवास, सतीश एडवोकेट व्यवस्थाओं का अच्छे तरीके से देख रेख की गई। सूरज शास्त्री ने कहा कि सतकुंभा धाम सिद्ध पीठ तीर्थ के रुप में विख्यात है। भारत के 68 तीर्थ में एक इसका नाम आता है यह पौराणिक तीर्थ भारत की खास पहचान प्रदान करता है।