सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र की पावन धरा को पहली पातशाही गुरु नानक देव जी ने किया था पवित्र
पहली पातशाही जगत गुरु नानक देव जी महाराज सम्वत 1558 में बैसाख की अमावस्या पर पहुंचे थे धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की भूमि पर, किरमच रोड़ पर पहली पातशाही गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने के लिए दूर-दराज से पहुंचती है संगत, एसजीपीसी अमृतसर कर रही है गुरुद्वारा साहिब की देखभाल, राज्य सरकार की तरफ से सिरसा में 4 अगस्त को मनाया जा रहा है पहली पातशाही जगत गुरु नानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाशोत्सव, कुरुक्षेत्र से हजारों की संख्या संगत पहुंचेंगी प्रकाशोत्सव में
>कुरुक्षेत्र< पूरी दुनिया में धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ही एक ऐसा पवित्र स्थल है जो सिख पंथ के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन धरा पर सिखों के 8 गुरु साहिबान ने अपने चरण रखकर इस भूमि को इतिहास के सुनहरी पन्नों में शुमार कर दिया। इसी भूमि पर सूर्यग्रहण के समय पहली पातशाही गुरु नानक देव जी महाराज सम्वत 1558 बैसाख की अमावस्या पर पहुंचे थे। आज भी किरमच रोड़ पर स्थित पहली पातशाही जगत गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज जी के गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते है। इस गुरुद्वारा साहिब की देखरेख और संगत की सेवा करने का काम शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर द्वारा की जा रही है। पहली पातशाही जगत गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर राज्य सरकार की तरफ से 4 अगस्त को सिरसा में एक राज्यस्तरीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है और इस आयोजन को लेकर कुरुक्षेत्र ही नहीं पूरे हरियाणा की सिख संगत बेसब्री के साथ राज्यस्तरीय समागम का इंतजार कर रही है। इतना ही नहीं कुुरुक्षेत्र की इस भूमि से हजारों की संख्या में संगत सिरसा के लिए रवाना होगी और समागम में अपनी हाजरी देगी। इस प्रकाशोत्सव के दौरान कुरुक्षेत्र का पहली पातशाही जगत गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज जी से जुड़े इतिहास पर भी चर्चा और व्याख्यान किया जाएगा, क्योंकि इस धरा पर ही गुरु नानक देव जी महाराज पहली उदासी जो सम्वत 1554 से 1565 तक थी, के दौरान 1558 बैसाख की अमावस्या पर कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। मैनेजर अमरेन्द्र सिंह ने इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया कि पहली पातशाही जगत गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज सम्वत 1558 की अमावस्या सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में पहुंचे और बड़े तालाब के किनारे गुरु जी ने अपना डेरा लगाया।उन्होंने कहा कि हिन्दू जगत के प्रसिद्घ नियम सूर्यग्रहण के समय आग न जलाना का उल्लघंन करके प्रण तोडऩे के लिए गुरु का लंगर शुरु किया। महाराजा के द्वारा भेंट किया हुआ मृग का मांस एक देग में पकाया पर पंगत समय खीर का प्रसाद छकाकर मांस खाने या न खाने को मुर्खो का विवाद साबित किया। इसी समय एक पंडित नानू हाजिर हुआ तथा जगत गुरु के दर्शन करके विवेक बुद्घि का मालिक बना तथा वेद व्यास के भविष्य वाक्य कलयुग बेदी बंसेच नानक के अनुसार गुरु जी को कलयुग का अवतार प्रगट किया। उन्होंने बताया कि गुरुद्वारा साहिब में सेवा सम्भाल तथा प्रबंध का काम शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर द्वारा किया जा रहा है, जिसका मुख्य कार्यालय गुरुद्वारा साहिब छटी पातशाही में है। इस पवित्र स्थान पर चाय तथा लंगर संगतों के सहयोग से 24 घंटे चलता रहता है।
550वें प्रकाशोत्सव के लिए एसडीएम को बनाया नोडल अधिकारी >
सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक समीर पाल सरो ने कहा कि 4 अगस्त को पूरे प्रदेश में पहली पातशाही गुरु नानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाशोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है और सिरसा की पुलिस लाईन में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लाखों की संख्या में श्रृद्घालु पहुंचेंगे। इतना ही नहीं कुरुक्षेत्र में भी प्रकाशोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए उपायुक्त डा. एसएस फुलिया ने एसडीएम थानेसर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।