पुस्तक समीक्षा : “कौन है ?”
रहस्य व कौतूहल से भरपूर है दीपक कामी का लिखा उपन्यास “कौन है ?”
कौन है ? जैसा कि इस उपन्यास का नाम है, बिल्कुल उसी तरह यह रहस्य व कौतूहल से भरपूर है। जिस युवा उपन्यासकार दीपक कामी अंत तक पाठक को बांधे रखने में सफल रहे है। इस लिहाज से उपन्यास का नाम सही प्रतीत होता है। लेखन शैली में उनकी पत्रकारिता के अनुभव का निचोड़ दिखता है। कहानी रुचिकर हैं, कहानी दिलो-दिमाग़ पर छा जाती है। उपन्यास को पढ़ते हुए आप खुद को उसी दुनिया में पाते है जो उपन्यासकार ने गढ़ी है। कहानी के रूप में यह एक अभिनव प्रयोग है। यदि आप एक नए प्रयोग के रूप में इस पुस्तक को पढ़ना चाहेंगे तो निराशा नहीं होंगे। युवा पत्रकार दीपक कामी का यह पहला उपन्यास है, उपन्यास रहस्य व कौतूहल से भरपूर है। अपनी पहली ही कृति से दीपक कामी ने साहित्य जगत में दमदार दस्तक दी है। उपन्यास प्रेमियों को उनका लिखा उपन्यास खूब भा रहा है।
पब्लिकेशन की दुनिया में बड़ा मुकाम हासिल कर चुके नोशन प्रेस से प्रकाशित और अमेज़न, फ्लिपकार्ट सहित कई प्लेटफार्म पर उपलब्ध उपन्यास की सैकड़ों प्रतियां प्रकाशित होने के एक महीने के अंदर ही बिक चुकी है। उपन्यास की लेखन शैली व दृश्य गढ़ने की क्षमता इसे एक अलग ही मुकाम पर ले जाती है। युवा पत्रकार द्वारा लिखे गए उपन्यास को वरिष्ठ पत्रकारों ने लेखन शैली को अद्भुत बताया है। उपन्यास की लेखन शैली ऐसी है कि दृश्य आंखों के सामने तैरते नजर आते है। कभी लगता है कि आप खुद ही कहानी का कोई पात्र जी रहे है, तो कभी “कौन है?” है कि तलाश में खुद ही एक सफर पर निकल पड़ते है। पात्र बिल्कुल सजीव लगते है। वहीं, खलनायक रहस्यमी पात्र खूब कौतूहल पैदा करता है। जिन दो शब्दों सस्पेंस व थ्रिलर का जिक्र किया गया है उस पर उपन्यास पूरी तरह खरा उतरता नजर आता है।