तरबूज लगाकर परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदनी शुरू
राजेन्द्र कुमार, सिरसा। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हर वर्ग को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। कई वर्ष से घाटे का सौदा बन रही खेती के कारण व कोरोना संकट के चलते आर्थिक तंगी के कारण किसानों के घर परिवार की स्थिति डावांडोल होने लगी। लेकिन गांव जोड़कियां (सिरसा) के किसान राकेश पुत्र ओमप्रकाश ढाका ने हौंसला हारने की बजाए अपने खेत में मौसमी सब्जी लगाकर कमाई का जरिया खोजकर आत्मनिर्भर बन गया।
किसान राकेश ढाका ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए 5 एकड़ भूमि में 2 साल पहले किन्नू का बाग लगाया था किन्नू के बाग से अभी पैदावार शुरू नहीं हुई लेकिन किन्नू के पौधों के लाइनों में खाली पड़ी जमीन पर संचरी किस्म के तरबूज लगाकर परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। खास बात यह है कि तरबूज की फसल पर कोई भी रासायनिक खाद की बजाय गोबर व जैविक खाद का ही प्रयोग किया है। कीटनाशक दवा की जगह चावल की मांड का छिडक़ाव किया है। विपरीत परिस्थितियों में कुछ करने के जज्बे ने किसान को आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। जैविक विधि से तैयार की गया तरबूज काफी गुणकारी और मीठा होता है वह उत्पादन भी अच्छा होता है।
आसपास के गांवों के लोग व सब्जी विक्रेता लेकर जाते
राकेश ने बताया कि उसके लगाए तरबूज आसपास के गांवों के लोग व सब्जी विक्रेता लेकर जाते हैं। सिरसा मंडी में फलों व सब्जियों को ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उसका कहना है कि अगर सब्जियों व फलों की मंडी नाथूसरी चौपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके अलावा सरकार को अनुदान भी देना चाहिए।