तीर्थ पर स्वयंकों ने सेवा शुरु की, देश-विदेश से आएंगे श्रद्धालु, भारत के 68 तीर्थ में शामिल है यह तीर्थ सतकुंभा
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर 15 से 21 फरवरी तक सतकुंभा उत्सव मनाया जाएगा। जिसमें हरियाणा कला परिषद रोहतक मंडल के कलाकार और मथुरा से पवन चतुर्वेदी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही यहां पर हरिद्वार से वेदपाठी रुद्र महायज्ञ का वैदिक पूजन करेंगे। भारत के 68 तीर्थ में शामिल इस तीर्थ पर सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव में भारत के अलावा दूर देशों के भी श्रद्धालु शामिल होंगे। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के महंत राजेश स्वरूप महाराज ने बताया कि सतकुंभा सत्य और कुंभ दो शब्दों से बना है। सत्य एक परमपिता परमात्मा कुंभ ज्ञान का वह घड़ा जिसमें ज्ञान का अमृत ठहरता है। संतों भक्तों और तपस्वियों ने यहां तपस्या और आराधना की। तब यहां पर इसका नाम सतकुंभ हुआ एसा पुराने ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत कलश निकला उसे छुपाने और बचाने के लिए यहां पर भी रखा गया था और नासिक, उज्जैन, हरिद्वार, प्रयाग में उस अमृत कलश की बूंदे पड़ी। जिन स्थानों पर आज इस युग में कुंभ का मेला भरता है। भारत के 68 तीर्थों में सतकुंभा नाम लिया जाता है। यहां सात दिवसीय रुद्र महायज्ञ वेदों के ज्ञाता करेंगे साथ ही आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आहुति देने वालों के लिए, इस क्षेत्र के लिए आरोग्य, शांति, उन्नति, प्रगति, सुख और समृद्धि की मंगल कामना के साथ यज्ञ किया जाएगा। आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की सेवा रहेगी। यह तीर्थस्थल जिला सोनीपत की प्राचीन, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर विश्वविख्यात है, पुण्य दायक सनातन धर्म की मूल आधारशिला एवं लोक कल्याण नार्थ सत कुंभा उत्सव हो रहा है। इसके अलावा गांव खेड़ी गुज्जर अहीर माजरा, बिलंदपुर, खुबडू आदि से स्वयं सेवक व्यवस्था को संभालेंगे। प्रबंध कमेटी जनेश्वर, रामनिवास, ब्रह्मपाल, सतीश एडवोकेट, सूरज शास्त्री, पवन शास्त्री इन व्यवस्थाओं को संभालेंगे। आने वाले वाहनों के लिए फ्री पार्किंग होगी। पहले दिन 15 फरवरी को कलश यात्रा सुबह 8 बजे निकाली जाएगी। उसके बाद रुद्र महायज्ञ प्रात: 9 बजे और प्रसाद वितरण 12 से 2 के मध्य रहेगा। महापुरुषों के आशीर्वचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम बाद दोपहर 1 से 4 बजे तक रहेंगे तीर्थ एवं यज्ञ मंडप में सांय काल आरती 6 बजे की जाएगी यह नित्य प्रतिदिन रुद्र महायज्ञ का वैदिक पूजन एवं यज्ञ आहुतियां दी जाएंगी।