नड्डा द्वारा तैयार मैदान में अब शाह और मोदी राजनीतिक बल्लेबाजी करते दिखेंगे, शाह हिसार व जींद में करेंगे प्रवास, पीएम रोहतक में दिलाएंगे विजय का संकल्प, कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले कुछ विधायकों के टिकट काटने के साफ संकेत
>अशोक छाबड़ा,जींद।</ हरियाणा में जीटी रोड बेल्ट पर कब्जा कर चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब विधानसभा चुनावों में रोहतक, सोनीपत और झज्जर में कांग्रेस का किला ढहाने की रणनीति पर चल पड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में दो दिन के प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए चुनावी पिच तैयार कर गए।कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले कुछ विधायकों के टिकट काटने के संकेतों से साफ है कि भाजपा मिशन-75 को पूरा करने में कोई समझौता नहीं करेगी। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जहां जीटी रोड बेल्ट की ज्यादातर विधानसभा सीटों को जीता था, वहीं कांग्रेस को रोहतक, सोनीपत, झज्जर जिलों में खासी सफलता मिली। भाजपा के निशाने पर अब यही तीनों जिले हैं। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्येक रणनीति का केंद्र रोहतक को बना रही भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष स्थानीय कार्यकर्ताओं व नेताओं में असंतोष को खत्म कर उन्हें एकजुट करने में सफल रहे। नड्डा ने जिस तरह कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया, रोहतक में उस तरह के कार्यक्रम कभी स्वर्गीय मंगलसेन और ताऊ देवीलाल के समय में होते थे। नड्डा द्वारा तैयार किए गए मैदान में अब अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी राजनीतिक बल्लेबाजी करते दिखेंगे। अगस्त में शाह का जींद व हिसार में कार्यक्रम तय है, जबकि प्रधानमंत्री सितंबर के दूसरे सप्ताह में रोहतक में आयोजित होने वाली विजय संकल्प रैली में शिरकत करेंगे। शीर्ष नेतृत्व को फीडबैक देंगे नड्डा नड्डा के रोहतक प्रवास को विधानसभा चुनावों के साथ ही भाजपा के दो बड़े आयोजनों की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। शाह व मोदी के दूत बनकर हरियाणा आए नड्डा अब यहां से मिला फीडबैक शीर्ष नेतृत्व को देंगे। इसी आधार पर मोदी व शाह के हरियाणा में दौरे तय किए जाएंगे। नड्डा ने साफ संकेत दिए कि अच्छी छवि नहीं रखने वाले विधायकों की जगह पार्टी नए उम्मीदवार उतारने में भी गुरेज नहीं करेगी। इससे कई हलकों में नए चेहरे उतरने तय हैं। विधानसभा चुनाव आचार संहिता से पहले निर्देश जारी सरकारी वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे चेयरमैन विधानसभा चुनावों के दौरान बोर्ड- निगमों, स्थानीय निकायों और विभिन्न सरकारी संस्थाओं के प्रधान और उपप्रधान सरकारी गाडिय़ों का निजी इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। हालांकि उनको सरकारी कार्यक्रमों व बैठकों में सरकारी वाहन ले जाने की छूट होगी। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान उठे तमाम विवादों का पटाक्षेप करते हुए आचार संहिता से पहले निर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्रियों द्वारा वाहनों के निजी इस्तेमाल की स्थिति में मुख्य सचिव की जवाबदेही रहेगी। जिलों में आदेशों के उल्लंघन पर जिला निर्वाचन अधिकारियों को त्वरित एक्शन लेने के लिए अधिकृत किया गया है। हरियाणा की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर को पूरा हो रहा है। चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर 31 अक्टूबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दे रखा है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान कई बोर्ड-निगमों व सरकारी उपक्रमों के मुखियाओं ने सरकारी गाड़ी के इस्तेमाल को लेकर विवाद के बाद चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। आयोग के निर्देशों पर प्रदेश के मुख्य सचिव कार्यालय की चुनाव शाखा ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, आयुक्त, विभागाध्यक्ष, बोर्ड-निगमों के चेयरमैन, मंडलायुक्त और उपायुक्तों को गाइड लाइंस जारी की हैं। निर्देशों के मुताबिक विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक दलों के नेताओं और प्रत्याशियों के साथ ही स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि व सरकारी कंपनियों के चेयरमैन निजी दौरों या कार्यक्रमों के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को दुरुस्त करने के साथ ही चुनाव संबंधी दूसरे कार्यों में लगे अफसरों और कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगा दी है। चुनाव ड्यूटी में लगे किसी अधिकारी की तैनाती गृह जिले में नहीं होगी। सभी अधिकारियों को उन जिलों से हटाया जाएगा जहां वे 31 अक्टूबर तक तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके होंगे। चुनाव या उपचुनाव के दौरान किसी जिले या ब्लॉक में तैनात रहे जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), रिटर्निंग अधिकारी (आरओ) को भी हटाया जाएगा। पुलिस इंस्पेक्टरों और सब इंस्पेक्टरों पर भी यह नियम लागू है।