चंडीगढ़ : पिछले तीन महीनों में पूरे हरियाणा के दो दर्जन से ज्यादा सरकारी विभागों में छापा मारने से विवादों में आए रॉकी मित्तल ने विरोधियों को कागज दिखाते हुए करारा जवाब दिया है। रॉकी मित्तल ने पूर्व चीफ सेक्रेटरी डी एसडेसी द्वारा जारी किया गया लेटर मीडिया में जारी करते हुए कहा कि तत्कालिक चीफ सेक्रेटरी ने यह लेटर जारी किया था कि पूरे हरियाणा के एडीसी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट एक और सुधार के नोडल ऑफिसर के तौर पर काम करेंगे। रॉकी मित्तल ने बताया सरकारी दफ्तरों में अव्यवस्था और लापरवाही तो एक आम व्यक्ति भी पूछ सकता है। मैं तो फिर भी एक और सुधार का प्रोजेक्ट डायरेक्टर हूं और इसके तहत पूरे प्रदेश के एडीसी जुड़े हुए हैं। यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है और उन्होंने ही पूरे हरियाणा के सरकारी दफ्तरों में विकास की व्यवस्था और कर्मचारियों की लापरवाही को लगाम लगाने के लिए एक और सुधार शुरु किया है। रॉकी ने कहा कि मेरी जवाबदेही सीएम को है ना कि किसी अधिकारी को। हमारा काम ही पूरे हरियाणा प्रदेश में सरकारी लेटलतीफी, कामचोरी और भष्ट्राचार को खत्म करके सुधार करना है।
छापे का फैसला अधिकारी नहीं करेंगे
रॉकी मित्तल ने स्पष्ट कहा उन्हें हरियाणा में कहां छापा मारना है इसका फैसला विभाग के अधिकारी नहीं करेंगे। दरअसल, एक और सुधार सेल के छापे की खबर अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती है, जबकि अब तक विभागों में हो रही जांच की खबर किसी तरह से अधिकारियों तक पहुंच जाती थी, जिस पर अपनी कमियों पर पर्दा डालने में कामयाब हो जाते थे। अब यह नहीं हो पा रहा है तो अधिकारियों ने अपनी कमियां छुपाने के लिए इस तरह के बहाने बनाना शुरु कर दिया है। मित्तल ने कहा कि मैं स्वयं इस छापे की रिपोर्ट माननीय मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री को सौंपता हूं। उन्होंने कहा कि अभी पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और सुधार के कामों की तारीफ की थी। रॉकी ने दो टूक कहा कि इन छापों से सबसे ज्यादा समस्या भष्ट्र अधिकारियों को हो रही है। अभी तक नालों की सफाई नहीं हुई। पब्लिक को गंदा पानी पीने को मिल रहा है।पार्कों का बुरा हाल है। कई ट्रीटमेंट प्लांट में सांप तक मिले हैं और सालों से सफाई नहीं हुई। कर्मचारियों की फाइलों के अंदर से ताश के पत्ते मिलते हैं। दफ्तर में आधे कर्मचारी गायब मिलते हैं और जब छापा मारो तो अपनी कमियां छुपाने के चक्कर में अधिकारी राजनीति पर उतर आते हैं। यह अधिकारी फैसला नहीं करेगा कि मैं कहां पर छापा मारुं। कैथल में तो सीवरेज का पानी बिना ट्रीटमेंट किए ड्रेन में छोड़ा जाता है जबकि करोड़ों की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट लगाया हुआ है। इन अधिकारियों को यह भी नहीं मालूम की सीएम की पॉलिसी क्या क्या है। मैं इन लापरवाही और भष्ट्र अधिकारियों को सचेत करना चाहता हूं कि यह बीजेपी की सरकार है, वह अब आईएनएलडी व कांग्रेस की फीलिंग लेना बंद करके काम पर लग जाए और अपनी ड्यूटी पर ध्यान दें।