- -केवल धर्म पालन नहीं अपितु मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर किया सर्वस्व बलिदान
- – पूर्व मंत्री कविता जैन ने गुरू तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर दी भावभीनी श्रद्धांजलि
-सेक्टर-15 स्थित गुरुद्वारे में श्रद्धापूर्वक आयोजित बलिदान दिवस में गुरू तेग बहादुर को किया नमन
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। पूर्व केबिनेट मंत्री कविता जैन ने सिखों के नौवें गुरू श्री गुरू तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर उन्हें नमन करते हुए युवाओं को प्रोत्साहित किया कि वे गुरूजी के आदर्शों का अनुसरण कर मानवता के संदेश को प्रसारित करें। गुरू तेग बहादुर ने केवल धर्म पालना के लिए नहीं अपितु मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। ऐसे महान गुरू सदैव स्मरणीय रहेंगे।
सेक्टर-15 स्थित गुरुद्वारा में गुरू तेग बहादुर के बलिदान दिवस का श्रद्धापूर्वक आयोजन किया गया, जिसमें हरियाणा की पूर्व मंत्री कविता जैन ने श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गुरू तेग बहादुर ने सिखों के प्रथम गुरू नानक देव द्वारा बताये गये मार्ग का अनुसरण करते हुए मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने पर बल दिया। उन्होंने कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन का पुरजोर विरोध किया। मुगल शासक औरंगजेब ने 1675 में उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा, किंतु गुरू तेग बहादुर ने कहा कि वे शीश कटा सकते हैं, अपने केश नहीं कटवायेंगे। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया। पूर्व मंत्री कविता जैन ने कहा कि गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं, जहां गुरूजी की हत्या की गई तथा जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा की खातिर प्राणों की आहुति देने वालों में गुरू तेग बहादुर साहब का बलिदान अद्वितीय है। क्रूर शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरू तेग बहादुर का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह गुरूजी के निर्भय, आचरण तथा नैतिक उदारता और धार्मिक अडिगता का उच्चतम उदाहरण था। वे मानवीय धर्म तथा वैचारिक स्वतंत्रता के लिए शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। कविता जैन ने कहा कि गुरू तेग बहादुर ने लोगों को संयम तथा सहज मार्ग का पाठ पढ़ाया। उन्होंने लोगों की आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक उन्नति के लिए कई रचनात्मक कार्य किए।
पूर्व मंत्री ने आम जनमानस को विशेष रूप से युवाओं को प्रोत्साहित किया कि वे गुरू तेग बहादुर के मार्ग का अनुसरण कर राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का पूर्ण निर्वहन करें। हम सौभागयशाली हैं कि हमने ऐसे देश में जन्म लिया जिसमें गुरूजी सरीखे बलिदानियों ने जन्म लिया। यह धरती ऐसे अनेकों वीरों के समर्पण एवं बलिदान की कहानी अपने अंदर समेटे हुए है। पूर्व मंत्री ने इस मौके पर गुरूजी के बलिदान को नमन करते हुए आयोजकों को प्रोत्साहित किया कि वे इस प्रकार के आयोजन नियमित रूप से करें। इस अवसर पर सरदार मंजीत सिंह पार्षद, भगवंत सिंह जब्बल, धनवंत भाटिया, हरदीप सिंह, जगमोहन सिंह, प्रभमित सिंह, चरणजीत सिंह, अजीत सिंह भाटिया, तरसिम सिंह, अजीत सिंह बंसल, रूबल सोढ़ी और भी बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।