मुकेश ठाकुर, मेरठ। देश में करवा चौथ त्यौहार को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह एवं उमंग देखी गई। अलग-अलग स्थानों पर महिलाओं ने अपने हाथों पर पिया के नाम की मेहंदी लगवाई। करवा चौथ के त्यौहार की मान्यता है कि जिस दिन करवाने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी। व्रत रखने का अर्थ ही है संकल्प लेना। संकल्प वही ले सकता है जिसकी इच्छा शक्ति मजबूत हो।
प्रतीकात्मक रूप में करवा चौथ पर महिलाएं अन्न जल त्याग कर यह संकल्प लेती है और अपनी इच्छा शक्ति की परख करती हैं। करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा के साथ ही शिव-पार्वती गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन करवा चौथ कथा का काफी महत्व होता है। कथा के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। एक पत्नी अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती है। पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर शाम को छलनी से पिया के चेहरे को देखते हुए चांद के दर्शन कर पिया के हाथ से पानी पीकर ही व्रत खोलती है।
इसी को लेकर मेरठ की महिलाओं से बात करने का प्रयास किया गया तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। बाजारों में रौनक छाई हुई है और बड़े पैमाने पर महिलाओं द्वारा करवा चौथ की खरीददारी करते हुए हाथों में मेहंदी रचाई। जब टेंपल शर्मा से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि पति की लंबी आयु की कामना करते हुए हम लोगों द्वारा व्रत रखा जाएगा, जिसको लेकर मन में भारी उत्साह एवं खुशी बनी हुई है। हम यहां सेंट्रल मार्केट में पिया के नाम की मेहंदी रचाने के लिए आई हुई है और ईश्वर से अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए पूरे दिन उपवास रखकर शाम को पति का चेहरा देखने के बाद ही पति के हाथों से पानी पीकर वह कुछ मीठा खाकर ही उपवास खोलेगी।
वहीं दूसरी ओर सोनीपत शहर के मैथोडिस्ट स्कूल सीनियर सैकेंडरी स्कूल में महिला टीचरों ने अपने हाथों में मेहंदी लगवाई। इस दौरान स्कूल में मेहंदी प्रतियोगिता भी करवाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल की प्रधानाचार्य श्रीमती रीना मनी ने की। इस अवसर पर स्कूल की छात्राओं बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने बताया कि कला का जीवन में बहुत महत्व है, कला चाहे कोई भी हो। यह जीवन को नए रंग देती है। जिसके पास कोई भी कला है तो वो भूखा नहीं रह सकता। वह उस कला के जरिये अपना व अपने परिवार का पेट भी भर सकता है। परंतु कला का विकास सिर्फ कमाने के लिए नहीं, परन्तु खुद के लिए भी जरूरी है। कला को निखारने से आत्मविश्वास बढ़ता है।