कर्म क्षय करने के लिए जो साधना की जाती है वह उत्तम तप धर्म
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मंडी सोनीपत में दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर भगवान का अभिषेक बड़े भक्तिभाव पूर्वक किया गया। उसके पश्चात शुभम शिवम जैन व जगदीश प्रसाद जैन ने श्रीजी की शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त किया। इस दौरान महिला चेतना जैन मिलन सोनीपत की ओर से भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पंडित संजय शास्त्री ने कहा कि कर्म क्षय करने के लिए जो साधना की जाती है वह उत्तम तप धर्म है। जिस प्रकार बिना तपाई स्वर्ण शुद्धता को प्राप्त नहीं करता, उसी प्रकार तप किए बिना आत्मा भी शुद्ध परमात्म पद को प्राप्त नहीं होती।
मुकेश जैन ने कहा कि आत्मा शुद्धि के लिए इच्छाओं का रोकना तप है। मानसिक इच्छाएं बाहरी पदार्थों में चक्कर लगाया करती है अथवा शरीर के सुख साधनों में केंद्रित व्यक्ति है। जगदीश जैन, एसके जैन, महन्त जैन ने कहा कि शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिए बहिरंग तप किए जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म मुख करने के लिए अंतरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन है। इस अवसर पर जैन समाज को परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज का पूजन करने का भी शुभ अवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर महिला चेतना जैन मिलन के साथ-साथ रमेश, आनंद, सुरेश, भूषण, पवन, मधु, शशि, अंजू, दीपावली, राखी, उषा इत्यादि उपस्थित रहीं।