पढ़ लो बच्चों पढ़ लो, समय यही है, वरना फिर पछताओगे…
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। संत नामदेव रोहिल्ला टांक क्षत्रिय सभा देवनगर द्वारा रोहिल्ला धर्मशाला में शिक्षक दिवस समारोह पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा के प्रधान संतलाल रोहिल्ला ने किया। मंच संचालन धर्मराज रोहिल्ला ने किया। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों को सम्मानित करने के साथ-साथ धर्मशाला में मौजूद सभी लोगों को मास्क वितरित किए। इस दौरान वक्ताओं ने शिक्षक दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि इंसान के जीवन में शिक्षा रूपी प्रकाश एक शिक्षक ही जगाता है। गुरु-शिष्य की परंपरा देश की संस्कृति में पवित्र रिश्ता है। एक शिक्षक ही देश व समाज का शिल्पकार होता है। वह एक व्यक्ति के चरित्र, क्षमता और भविष्य को आकार देता है।
शिक्षक दिवस की सबसे खास बात ही यही है कि यह एक महान शिक्षक और देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। सभी शिक्षकों को देश व समाज निर्माण के लिए और प्रतिबद्धता से कार्य करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि शिक्षक ही हमारे समाज की रीढ़ है। वे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को आकार देकर उन्हें देश का आदर्श नागरिक बनाते हैं। वक्ता जयभगवान रोहिल्ला ने एक कविता के माध्यम से कहा कि पढ़ लो बच्चों पढ़ लो, समय यही है, पीछे से पछताओगे। लाख करो कोशिश पर बीता समय नहीं पाओगे। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। किसी भी क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए शिक्षा पहली आवश्यकता है। किसी भी राष्ट्र व समाज के कल्याण के लिए शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षा के बल पर जीवन में कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हमारे एक साथी ने बहुत सुन्दर लिखा है कि -:
सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूं, नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूं।
चुपचाप सुनता हूं शिकायतें सबकी, तब दुनियां बदलने की आवाज बनाता हूं।
समन्दर तो परखता है हौसले पक्षियों के, और मैं डूबती कस्तियों को जहाज बनाता हूं।
बनाए चाहे चांद पर कोई खुबसूरत इमारत, लेकिन मैं तो कच्ची मिट्टी से इंसान बनाता हूं।।
कार्यक्रम में इस दौरान सतनारायण रोहिल्ला, धर्मराज रोहिल्ला, प्रेम सिंह रोहिल्ला, विनोद रोहिल्ला, सचिन रोहिल्ला, भारत भूषण रोहिल्ला, नरेश सागू, इन्द्रजीत रोहिल्ला, रणबीर रोहिल्ला, रामकुमार रोहिल्ला, मास्टर कृष्ण रोहिल्ला, रामेश्वर रोहिल्ला, जयभगवान, सतबीर, ब्रहम रोहिल्ला, मंगलसेन रोहिल्ला आदि मौजूद रहे।