- वर्षा ऋतु का स्वास्थ्य पर क्या पडता है प्रभाव : आर्युवेदाचार्य डा. शिव कुमार
- सूखे कपड़े पहनने से बचा जा सकता है त्वचा रोग से
श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। आर्युवेदाचार्य डा. शिव कुमार ने कहा कि वर्षा ऋतु में बारिश के पानी में नहाने से बचना चाहिए, क्योंकि बारिश के पानी में नहाने से त्वचा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। घरों में कहीं पर भी बारिश का पानी जमा नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इक्ट्ठा हुए पानी में मच्छर पनपते हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियां होने का खतरा बना रहा है। आर्युवेदाचार्य डा. शिव कुमार ने कहा कि बारिश में भीगने के बाद तुरन्त सुखे कपड़े पहने चाहिए, ताकि गीले कपड़ों से होने वाली बीमारी से बचा जा सके।
वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियों व उनके बचाव के बारे में हमें जानकारी दे रहे हैं आर्युवेदाचार्य डा. शिव कुमार। उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु में हमेशा गर्म पानी पीना चाहिए, गर्म पानी पीने से कई प्रकार की बीमारियां का प्रभाव कम हो जाता है। बारिश के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जियों में छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो बहुत ध्यान से देखने पर ही दिखाई देते हैं, छोटे कीड़े में पेट में जाकर इंफेंक्शन कर देते हैं, जिससे इंसान कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसलिए वर्षा ऋतु में पत्तेदार सब्जियों के सेवन से परहेज करना चाहिए।
डा. शिव कुमार ने कहा कि बारिश में भीगने के बाद तुरन्त घर जाकर कपड़े बदलने चाहिए, क्योंकि गीले कपड़े पहने रहने से त्वचा रोग होने की अधिक संभावना बनी रहती है। उन्होंने कहा कि जहां पर बारिश का पानी जमा हो उसके अंदर से नहीं जाना चाहिए, अगर जाना पड़े तो घर पहुंचकर गर्म पानी से नहाकर तेल की मालिश करनी चाहिए, ताकि स्वास्थ्य पर किसी प्रकार को कोई असर न पड़े। उन्होंने कहा कि मनुष्य के लिए स्वस्थ शरीर ही उसकी सबसे बड़ी दौलत है। बारिश के दिनों में बासी खाना नहीं खाना चाहिए। बासी खाना पचने में दिक्कत देता है, इसके साथ कई अन्य परेशानी भी खड़ी कर सकता है, जैसे उल्टी होना, बदहजमी, जीमिचलाना आदि। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में जहां तक हो सके ताजी फलों का सेवन करना चाहिए, ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।