- -हर प्रकार की परिस्थिति में गुरू से मिलता है उचित मार्गदर्शन: राजीव जैन
- रामकृष्ण साधना केंद्र में गुरू-पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन
– गुरू-गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू आपने, जिन गोविंद दियो मिलाये
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। गुरू-गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू आपने, जिन गोविंद दियो मिलाय। इन पंक्तियों के साथ स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने गुरू-पूर्णिमा की बधाई देते हुए गुरुजनों को नमन किया। उन्होंने कहा कि गुरू और शिष्य के लिए गुरू-पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। सभी शिष्यों को इस शुभ अवसर पर अपने गुरुजनों की वंदना करनी चाहिए।
मुरथल स्थित रामकृष्ण साधना केंद्र में शुक्रवार को गुरू-पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में स्वयं स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने दीप प्रज्वलित करते हुए किया। महोत्सव में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा नेता राजीव जैन ने शिरकत की। गीत-संगीत एवं मधुर भजनों की प्रस्तुति के साथ गुरु पूर्णिमा मनाई गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज की चरण वंदना की।
स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरू के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है। इसलिए गुरु अवश्य बनायें। किंतु गुरू का चयन भी गंभीरता से किया जाना चाहिए। सद्गुरू मिलना परम सौभाग्य की बात होती है। जिसे सद्गुरू मिल जाये उसका लोक-परलोक सुधरना निश्चित हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें सदैव अपने गुरू का सम्मान करना चाहिए। गुरू की हर बात पर ईमानदारी से अमल करना चाहिए। गुरू की हर बात जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है, जिसमें शिष्य का कल्याण निहित होता है।
भाजपा नेता राजीव जैन ने कहा कि गुरुजनों से हर परिस्थिति में उचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है। गुरु ही अपने शिष्य के जीवन को सही दिशा प्रदान करता है। गुरु-शिष्य का संबंध बेहद पवित्र और अनूठा होता है। इस संबंध को बनाये रखना चाहिए। आधुनिकता के इस दौर में भी गुरु-शिष्य परंपरा बनी रहनी चाहिए। जैन ने कहा कि हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, जो गुरु ही प्रदान कर सकता है। हमें अपने गुरुजनों के साथ हर बात साझा करनी चाहिए। गुरू का सच्चे हृदय से सम्मान करना चाहिए, जो किसी भी स्थिति में डगमगाना नहीं चाहिए। इस दौरान उन्होंने गुरू-पूर्णिमा के सफल आयोजन की भी बधाई दी।