प्रशासन ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो संघर्ष होगा तेज : प्रहलाद भारूखेड़ा
राजेन्द्र कुमार, सिरसा। सिरसा में हिरासत में लिए गए पांच किसानों की रिहाई के लिए बुधवार को किसानों ने जिले केदोनों टोल भावदीन व खुइयांमलकाना व साहुवाला प्रथम के पास नैशनल हाइवे जाम किया। जाम के दौरान हजारों वाहन दो घंटे के लिए रोड के दोनों ओर लाइनों में खड़े रहे। जाम के दौरान कई वाहन चालकों की किसानों के साथ बहसबाजी भी हुई, लेकिन किसानों की भीड़ के आगे वाहन चालक बेबस नजर आए। हालांकि किसानों ने एंबुलेंस व बिमार व्यक्तियों को लेकर जा रहे वाहनों को नहीं रोका। वहीं पुलिस भी दोनों टोल प्लाजा व साहुवाला प्रथम के निकट नैशनल हाइवे पर तैनात रही, ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
इस मौके पर हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने बताया कि पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार किए गए पांच किसानों की रिहाई के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा की कॉल पर दोनों टोल व गांव साहुवाला प्रथम के निकट नैशनल हाइवे दो घंटे के लिए बंद किए गए हैं। अगर इसके बाद भी प्रशासन व सरकार नहीं माने तो आगामी संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी। भारूखेड़ा ने कहा कि सरकार अडानी व अंबानी की गुलाम हो चुकी है। सरकार चाहती है कि देश का पूरा व्यापारिक ढांचा व सार्वजनिक सेवाएं अडानी व अंबानी के पास चली जाए, लेकिन देश की जागरूक जनता ऐसा होने नहीं देगी। भारूखेड़ा ने कहा कि जाति और धर्म के नाम पर लड़ाने वाले इन लोगों ने बीते दिवस संसद में भी मंत्रियों को उनकी जाति के अनुसार बुलाया, जोकि बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि जब पाप का घड़ा भर जाता है ता वह उछलता है और यही हश्र सरकार का होने वाला है। एक 80 साल का बुजुर्ग आमरण अनशन पर बैठा है, जिसकी सरकार व प्रशासन को कोई चिंता नहीं है।
आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसान शहीद हो गए, सरकार की जुबां पर इन किसानों के लिए दो शब्द तक नहीं। महंगाई चरम पर है और व्यापारिक धंधे सरकार ने पूरी तरह से लोकडाउन की आड़ लेकर खत्म कर दिए। तेल व रसोई गैस की कीमतों ने आमजन को त्राहिमाम करने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन पूंूजीपति घरानों के गुलाम हो चुके देश के नुमाइंदों को इसकी जरा भी चिंता नहीं है। उन्हें चिंता है तो बस अंबानी-अडानी की। सरकार ने गिरफ्तार किए गए किसानों पर जबरन देशद्रोह का केस दर्ज कर दिया, लेकिन शायद सरकार को देशद्रोह की परिभाषा का ज्ञान नहीं है। संविधान भी इस बात की इजाजत देता है कि देश के मुखिया के खिलाफ आवाज उठाना आवाम का कानूनी अधिकार है, लेकिन इस तानाशाही सरकार ने तो सारे कानून कायदे ताक पर रखकर अपने तरीके से नए कानून बनाने शुरू कर दिए, जोकि किसी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है। भारूखेड़ा ने बताया कि प्रशासन ने कोर्ट की तरफ जाने वाले रास्ते बंद कर दिए।
ऐसे में न्याय की उम्मीद लेकर आने वाला व्यक्ति कहां जाएगा। किसानों का मकसद जनता को परेशान करना नहीं है, उनकी लड़ाई केंद्र सरकार से है और जब तक सरकार अपनी कुनीतियों से बाज नहीं आती, किसान यहां से हटने वाले नहीं है। ये तो अभी ट्रेलर है, पूरी पिक्चर तो अभी बाकि है। संयुक्त मोर्चे की कॉल प्रदेश बंद की होगी तो वे प्रदेश को भी बंद करेंगे। इस मौके पर कई पंजाबी कलाकारों ने किसानी पर बनाए गए धर्मा दे नां ते लड़ान वालिए नी, असी किसान बन तेरे नाल लडऩा और सुन ले नी सरकारे… गीत सुनाए। इस मौके पर विकास सिंह सिसर, रवि आजाद, गुरदीप बाबा, सुखदीप बड़ागुढ़ा प्रधान, लक्खा अलीकां प्रधान, सतपाल सिंह सिरसा, जरनैल सिंह अलीकां, बिकर सिंह अलीकां, जिंदा नानूआना, जस्सा नानूआना, मलकीत भुल्लर, परमिंद्र जीवननगर, बलवंत प्रधान सहित अन्य किसान उपस्थित थे।
कई वाहन चालकों से हुई बहबाजी
दोनों टोल प्लाजा पर दो घंटे के बंद के दौरान कुछ वाहन चालकों की किसानों के साथ बहसबाजी भी हुई। कई कर्मचारी भी वाहन लेकर टोल से गुजरने लगे तो उन्हें नहीं गुजरने दिया गया। इस दौरान कई कर्मचारियों ने किसानों के साथ धक्केशाही कर वाहनों को गुजारने का प्रयास किया, लेकिन किसानों की एकता के चलते वाहन चालक वापस मुड़कर चले गए।
वारियों को हुई परेशानी
दो घंटे के बंद के दौरान बसों को भी किसानों ने नहीं गुजरने दिया। बसों में सवार होकर आई सवारियों को दो घंटे तक टोल प्लाजा पर ही बसों में बैठकर वक्त गुजारना पड़ा। कई सवारियों ने भी किसानों के साथ बसों को निकालने को लेकर बहसबाजी की, लेकिन किसानों ने उन्हें समझाकर शांत किया, जिसके बाद वे बसों में जाकर बैठ गए।