सरकार द्वारा तय न्यूनतम रेट से बहुत कम दिया जाता है ईंट भराई रेट : रामदिया
पानीपत, नंदपाल भूप। भट्टा उद्योग में पिछले लम्बे समय से हरियाणा के लगभग सभी जिलों में भट्ठा मजदूर से न्यूनतम वेतन से कम वेतन देकर काम करवाया जा रहा है। जैसा कि जो रेट जनवरी 2020 से लागू था, वह देरी से 30 सितम्बर 2020 को प्रकाशित किया गया है। जबकि हरियाणा में सभी भट्ठे जून माह के अन्त में बंद हो जाते हैं। इससे भट्ठा मजदूरों का भारी आर्थिक नुकसान हुआ। भट्ठा मजदूर विकास संघ, हरियाणा के प्रधान रामदिया रत्तेवाल ने मंगलवार को बताया कि लगभग हर भट्ठे पर काम करने वाले सभी मजदूरों को लगभग 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ था।
इस प्रकार पूरे हरियाणा प्रदेश की बात की जाए तो करोड़ों रुपए की मजदूरों की मजदूरी मजदूरों को नहीं मिल सकी। उन्होंने कहा कि अब एक जनवरी 2021 से जो रेट सरकार ने तय किए हैं वो आंकड़े 15 जून को प्रकाशित किए गए हैं। अब भट्ठों से भट्ठा मालिक, भट्ठा मजदूरों को न्यूनतम वेतन से भी कम से कम वेतन देकर रातों रात उनका हिसाब किताब कर भगाने का काम कर रहे हैं। प्रधान ने कहा कि इसमें सबसे ज्यादा शोषण तो कच्ची इंटों की भराई करने वाले मजदूरों का हुआ है। सरकार ने एक जनवरी 2021 से इट्टों की भराई का रेट 205 रुपए प्रति हजार तय किया है और भट्ठा मालिक भट्ठा मजदूरों को 150 रुपए प्रति हजार से 175 रुपए प्रति हजार देकर उनको भटठों से हिसाब किताब कर उन्हें भगाने में जुट चुके हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि भराई वाले मजदूर हमारे हरियाणा प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि से आते हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है और इस प्रकार भट्ठा मालिकों ने उनको न्यूनतम वेतन से भी अधिक देना चाहिए, नहीं तो कम से कम उनको सरकार द्वारा तय रेट तो अवश्य देना चहिए। उन्होंने कहा कि भट्ठों पर कानून नाम की कोई चीज नहीं है, बल्कि मजदूरों पर जंगल राज लागू हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये सब सरकार और श्रम विभाग की लापरवाही की आड़ में हो रहा है और इस कार्य में भट्ठों के जमादार लोग भी मजदूरों का शोषण करवाने में लगे हुए हैं।