रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। शहर में अमरुत योजना के तहत विभिन्न कॉलोनियों में डाली गई सीवरेज लाईन को राठधना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की ट्रंक सीवरेज लाईन से जोड़ने का मामला नगर निगम तथा बिजली विभाग के कंस्ट्रक्शन डिवीजन के बीच जमीन उपलब्धता को लेकर पिछले चार माह से लटका पड़ा है। दरअसल सीवरेज लाईन फाजिलपुर स्थित पावर हाउस के एक कोने से 50 मीटर हिस्से में डाली जानी है। बस इसी को लेकर निगम व बिजली विभाग के बीच गत फरवरी माह से पत्राचार चल रहा है।
आपस में मामला न सुलझने की जानकारी मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन को मिली तो उन्होंने सोमवार को बिजली विभाग के एस.डी.ओ रोशनलाल, निगम के एस.डी.ओ (अमरूत योजना) सतीश कुमार तथा सीवरेज का कार्य कर रही एजेंसी के सुपरवाइजर अशोक धीमान के साथ फाजिलपुर पावर हाउस का दौरा किया और जरूरी दिशा निर्देश दिए। नगर निगम के कार्यकारी अभियंता ने बिजली विभाग के एस.डी.ओ को पहला पत्र 25 फरवरी 2021 को लिखकर सीवरेज लाईन जोड़ने के लिए पावर हाउस के अंदर से एक कोने में 50 लीटर लाईन जनहित में डालने की अनुमति मांगी थी, परंतु कुछ समाधान नहीं हुआ न तो अनुमति मिली न कार्रवाई आगे बढ़ी।
राजीव जैन द्वारा नगर निगम आयुक्त जगदीश शर्मा की जानकारी में मामला लाया गया तो 11 जून और 14 जून को दो पत्र बिजली विभाग के एस.डी.ओ को फिर भेजे गये। बिजली विभाग के एस.डी.ओ ने अपने रोहतक स्थित अधीक्षण अभियंता तथा पानीपत स्थित कार्यकारी अभियंता को कार्यालय में पत्राचार भी किया, लेकिन कार्रवाई ठप ही रही। राजीव जैन ने बिजली विभाग के अधिकारियों को पूर्ण संस्तुति के साथ केस अपने उच्चमअधिकारियों को भिजवाने के निर्देश दिए हैं, ताकि सीवरेज लाईन डालने की अनुमति दिलवाई जा सके।
राजीव जैन का कहना है कि यदि पावर हाउस में लाईन डालने का मामला हल नहीं हुआ तो शहर के अनेक हिस्सों में डाली गई कि सीवरेज लाईन का राठधना स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से कनेक्शन नहीं हो पायेगा और शहर में डाली गई कई किलोमीटर सीवरेज लाईन ठप हो जायेगी, जनता को परेशानी झेलनी पड़ेगी सो अलग। पूर्व मीडिया सलाहकार मुख्यमंत्री हरियाणा जैन ने कहा कि सीवरेज कनेक्शन न होने की दशा में गांव फाजिलपुर, गढ़ शहजानपुर स्थित जोहड़ का पानी, जीवन विहार एक्सटेंशन, विकास नगर, राजीव कॉलोनी, मुरथल रोड, मैपसको सिटी, सिद्धार्थ एनक्लेव, देवरू रोड, चिंतपूर्णी कॉलोनी की सीवरेज व्यवस्था का स्थाई समाधान नहीं होगा और अमरूत योजना में खर्च किया गया करोड़ों रुपये व्यर्थ जायेगा। अनुमति दिलाने के लिए बिजली विभाग के चंडीगढ़ बैठे अफसरों और मंत्रियों तक मामला उठाया जायेगा।