रहबरे आजम छोटूराम संग्रहालय सांपला बहा रहा अपनी बदहाली के आंसु

रहबरे आजम छोटूराम संग्रहालय सांपला बहा रहा अपनी बदहाली के आंसु

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के नाम का लगाया गया पत्थर भी हो रहा है धूमिल

सांपला, महेश कौशिक। जब किसी भी नेता को अपनी जमीन खिसकती नजर आती है तो प्रदेश में दो तीन नाम ऐसे है, जिनका नाम लेकर उनके आदर्शो पर चलने की बात कह कर वो राजनीति में तो आ जाते है, लेकिन बाद में वे उनके नाम व आदर्शों से कोसों दूर होते हैं। ऐसा ही हो रहा प्रदेश के एक ऐसे नामचीन सख्स के साथ। सांपला दिल्ली रोड पर स्थित किसान मसीहा रहबरे आजम छोटूराम संग्रहालय के साथ। गांव व आसपास के लोगों को रहबरे आजम किसान मसीहा सर छोटूराम की सांपला स्थित संग्रहालय में स्थापित प्रतिमा में बहुत आस्था जिसका अनावरण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं सांपला आये थे, लेकिन बिना किसी संभाल के आज संग्रहालय  बदहाल होता जा रहा है। सरकारों व नेताओं की उपेक्षा के चलते इस संग्रहालय की सुध लेने वाला कोई नहीं है, जिसके चलते ये संग्रहालय नशेडियों की असगार ग्रह बन गया है। आपको बतां दे कि प्रधानमंत्री के आगमन पर आर्कियोलोजी विभाग ने रहबरे आजम सर छोटूराम संग्रहालय को हजारों रुपए खर्च कर सजाया था, जोकि अब यहां दीमक लगानी शुरू हो गई है। कुरुक्षेत्र की क्रिएटिव विजन ने सजावट का काम किया था। उस वक्त दावा किया था कि जो काम संग्रहालय में करवाया जा रहा है, उसमें तमाम तरह के मापदंडों का पालन किया जा रहा है। इसके दो साल बाद क्रिएटिव सीट के ऊपर लगा लकड़ी का फ्रेम दीमक के चलते गिरना शुरू हो गया है।

पिछले लगभग एक साल से संग्रहालय की छत जर्जर हो चुकी है, जिसमें रखा गया सामान भी खराब हो रहा है, लेकिन इस बारे में न तो सर छोटूराम विचार मंच और न ही और कोई सामाजिक संगठन इस और ध्यान दे रहा। हैरानी की बात ये है कि छोटूराम का नाम लेकर प्रदेश के बहुत लोगों ने सत्ता प्राप्त की है। चौधरी छोटूराम स्मारक में छोटूराम द्वारा प्रयोग किया गया सामान तात्कालीन मुख्यमंत्री औमप्रकाश चौटाला उस समय पाकिस्तान से लेकर आये थे, लेकिन उनके इस संग्रहालय की सुध लेने की फुर्सत किसी भी पक्ष या विपक्ष की पार्टी को नहीं है। करोड़ो रूपयों की लागत से बने इस संग्रहालय की सुध प्रशासन को भी नहीं है। हां यदि कोई निकट भविष्य में चुनाव तो आ गया तो रहबरे आजम पर प्रतिदिन कोई न कोई नेता अपने श्रृद्वा सुमन भेंट कर राजनीति का आरंभ जरूर करने आ जायेगा। तब तक के लिए रहबरे आजम को इस हाल में रहना पड़ेगा। प्रधानमंत्री के नाम का लगाया गया पत्थर भी धूमिल हो रहा है व पार्क में लगाए हुए पोल से तिरंगा ही गायब है। संग्रहालय पर रौनक व साफ  सफाई तो होती है मगर चुनाव के समय।

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