सभी को गुरु नानक देव जी के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता
हिसार, राजेश सलूजा। श्री गुरु तेग बहादुर ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट अनुराधा भार्गव ने कहा कि जब से मनुष्य जाति धरती पर प्रगट हुई है, इसमें निरन्तर विकास होता रहा है। रहन-सहन, खान-पान, बोल-चाल, रीति-रिवाज, सब कुछ बदलता रहा है। इस बदलाव के कारण मनुष्य का जीवन बहुत सरल व सुखी भी हुआ है। जो मनुष्य बदलाव को सहजता से व सकरात्मक तरीके से ग्रहण करता है वो आगे बढ़ जाता है और जो मनुष्य बदलाव को कबूल नहीं कर पाते वो जीवन पथ पर हर तरह से पिछड़ जाते हैं। ये शब्द एडवोकेट अनुराधा भार्गव ने बरवाला शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि धर्म व धार्मिक संस्कार प्रारम्भ से ही मनुष्य के जीवन में एक मुख्य स्थान रखते आए हैं। विकास की तरह ही धार्मिक विकास का होना बहुत जरूरी है। धार्मिक विकास मानव समाज में शुभ गुणों का संचार करता है और गैर जरूरी कर्मकांड को त्याग कर नवीन जीवन पद्धति का निर्माण करता है। ताकि मनुष्य भेदभाव, जाति, वर्ण व रंग भेद से ऊपर उठकर प्रेम पूर्वक जीनव आनंद को प्राप्त कर सके। हर युग में परमात्मा के द्वारा कुछ ऐसे जीवन संसार में प्रगट किए गए जो खुद बदलाव लेकर प्रगट हुए व दूसरों को भी उस बदलाव के लिए प्रेरित करते रहे।
हर युग में कुछ ज्ञान जो उनके द्वारा दिया गया आज धार्मिक पुस्तकों के रूप में पढने के लिए प्राप्त है। परमात्मा एक है लेकिन उसके नाम अनेक हैं, ऐसे ही मानव जाति एक है लेकिन उनमें बहुत सारे नाम हैं। कुछ इलाके के कारण कुछ जाति के कारण कुछ कर्म के आधार पर लेकिन अगर मानव जाति को गहराई से देखे तो बहुत सारे तथ्य हैं जो हमें एक सूत्र में जोड़ते हैं। इन सभी तथ्यों को अगर किसी ने सबसे ज्यादा ऊंची आवाज में उठाया तो वो नाम है, गुरु नानक देव जी जिन्होंने अपने विचारों से पूरे संसार मे एक क्रांति पैदा कर दी है। संसार की पैदाइश से लेकर विकास को जिस तरह उन्होंने संसार के सामने रखा आज के वैज्ञानिक युग मे वह बहुत सटीक नजऱ आते हैं। गुरु नानक साहिब जी ऐसे गुरु हैं जिनको बहुत सारे देशों में अलग अलग रूपों में माना व पूजा जाता है। गुरु नानक साहिब जी ने जो जीवन सिद्धान्त मानवता को दिए हैं, उन्हें गुरमत सिद्धान्त कहते हैं और मनुष्य किसी भी जाति वर्ग वर्ण से भी होकर उन पर चलता है उसे सिक्ख कहा जाता है। सिक्ख होने का मतलब गुरु नानक देव जी की विचार को अपने जीवन में धारण करना है।
गुरु नानक देव जी सनातन में ही प्रगट हुए हैं और उन्होंने सनातन को ही नए स्वरूप में संसार के समक्ष रखा है। जो लोग गुरु नानक देव साहिब के बताए मार्ग पर चल रहे हैं वो हर तरह से दूसरे लोगो से बेहतर जीवन व्यतीत करते हैं। आज पूरे विश्व में गुरु नानक देव साहिब के मार्ग पर चलने वाले लोगो की संख्या चाहे अन्य के मुकाबले कम है, लेकिन वो किसी भी तरह से किसी से पीछे नहीं है। जन्म से लेकर मनुष्य सीखता रहता है वो अपने जीवन को सुखी व चिंता मुक्त करने के लिए बहुत प्रयास करता है। एक सिक्ख सिर्फ गुरु साहिब जी के उपदेशों को जीवन का आधार बनाकर चलता है और हर प्रकार से चिंता मुक्त व सुखी जीवन को हासिल कर लेता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई दुख जीवन में आ भी गया तो जिस बहादुरी से एक सिक्ख उसका मुकाबला कर सकता है कोई दूसरा नहीं कर सकता। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है। इस कोविड महामारी के दौरान सिक्ख समाज ने इसे साबित किया है। हमारा पूरा देश चिंता मुक्त, सुरक्षित व सुखी जीवन व्यतीत करे उसके लिए वर्तमान को देखते हुए सभी को गुरु नानक देव के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। खुद भी चलना व दुसरो को भी चलने के लिए प्रेरित करना हर मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। आओ मिलकर एक प्रयास करें।