सोमवती अमावस्या पर सतकुंभा पर स्नान कर की पित्रों के मोक्ष की कामना
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। सतकुंभा तीर्थ धाम पर अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं ने स्नान किया। श्रद्धालुओं ने अपने पित्रों की निमित पूजा कर उनके मोक्ष की कामना क। इस मौके पर सिद्धपीठ सतकुंभा धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की सेवा दी। आटा जौरासी निवासी रमेश के परिवार ने पुत्र की नौकरी लगने पर भंडारे की सेवा दी। जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण् किया। सोमवती अमावस्या के मौके पर धाम पर हवन-यज्ञ किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने आहुति डाली। सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ के प्रबंधक सूरज शास्त्री ने कहा कि सोमवती अमावस्या का हिन्दुओं में खास महत्व होता है। ऐसा मानते हैं कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पित्तरों के तर्पण के लिए गांव पांडू-पिंडारा के सोम तीर्थ पर 12 साल तक सोमवती अमावस्या का इंतजार किया, लेकिन सोमवती अमावस्या नहीं आई। ऐसा माना जाता है कि तभी पांडवों ने श्राप दिया था कि कलयुग में सोमवती अमावस्या बार-बार आएगी। ऐसे में सोमवती अमावस्या के दिन देश भर से श्रद्धालु तीर्थों पर जाते हैं। श्रद्धालु पांडू-पिंडारा पहुंचते हैं। वहीं सप्त ऋषियों की तपस्थली सिद्धपीठ सतकुंभा धाम पर भी आते हैं। सोमवती अमावस्या और 13 अप्रैल से नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। यह पुनित कार्य पूजा के लिए खास है, अभी हरिद्वार में महाकुंभ चल रहा है, जो श्रद्धालु वहां नहीं जा पाए वे यहां सतकुंभा पर आए। उन्होंने प्रार्थना की उनको इसका उतना पुण्य लगा, जितना महाकुंभ में लगाता। भंडारे में प्रधान सेठपाल छौक्कर, पवन शास्त्री, सोमवीर शास्त्री, अमित, सुमित आदि समर्पित सेवा में लगे रहे।