हमारे देश के लोग दूर देशों में बसकर अपनी भाषा से जुड़े
रणबीर सिंह, सोनीपत। हिंदी शिक्षा परिषद यूके (लंदन) की ओर से हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित वेबिनार कार्यक्रम को होस्ट करते हुए परवीन रानी ने कहा कि विश्व के विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। विभिन्न देशों के 91 विश्वविद्यालयों में हिन्दी चेयर है। इसमें चीन, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, रूस, इटली, हंगरी, फ्रांस तथा जापान सहित लगभग 150 विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में हिन्दी शामिल है। सम्मानित अतिथि भारतीय उच्चायोग लंदन की ओर से तरुण कुमार, मुख्यातिथि डा. निष्ठा जसवाल कुलपति हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, विशेष अतिथि सृजन ऑस्ट्रेलिया के प्रधान संपादक डा. शैलेश शुक्ला व ज्ञान ज्योति दर्पण के संपादक नरेंद्र शर्मा परवाना और खासकर छोटे-छोटे बच्चों ने लंदन व मॉरीशस से हिंदी में रचनाएं पढ़ी। हिन्दी शिक्षा परिषद यूके द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. निष्ठा जसवाल ने कहा कि हिंदी की चर्चा हुई तो बच्चों से कुछ कहूंगी मुझे बहुत खुशी और संतुष्टि है कि हमारे देश के लोग चाहे जीविका अर्जन, ज्ञान अर्जन के लिए दूर देशों में बसे हैं परंतु अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा से जुड़े हुए हैं। भाषा जोड़ती है तोड़ती नहीं है, भाषाएं अलग हो सकती हैं, परंतु मानव अलग नहीं हैं, दिल वही है, भावनाएं वही हैं, भाषा परिवार का हिस्सा है। हम हिंदी बंधु हैं अंग्रेज बंधु हैं फ्रेंच बंधु हैं। मैं एक एडमिनिस्ट्रेटर होने के साथ-साथ दिल से एक कवि हूं तो मैं अपने बच्चों को स्वरचित एक कविता सुनाऊंगी। भाषा जान है ईमान है, होठों की मुस्कान, बचपन का तोतलापन और बुढ़ापे की लडख़ड़ाती जुबान है।
सृजन ऑस्ट्रेलिया के प्रधान संपादक डा. शैलेश शुक्ला ने कहा कि नई उम्र के बच्चों का कार्यक्रम से जुड़ाव अच्छी पहल है। हमें बच्चों को हिंदी और भारतीय संस्कृति से जोड़े रखें। लगभग 71 वर्ष हो गए हैं संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। आठवीं सूची में कुल 22 भाषाएं हैं। जिसमें हिंदी संघ की राजभाषा है और संघ का यह दायित्व है कि वह हिंदी के विकास के लिए काम करें। उसमें ज्ञान विज्ञान की जो पुस्तकें हैं, उनका लेखन हो इन सभी का कामकाज हिंदी में हो, इसके लिए प्रयास किए जाएं। तीन विभाग ऐसे हैं जो विशेष रूप से काम भाषा विकास के लिए काम करते हैं। सम्मानित अतिथि भारतीय उच्चायोग लंदन की ओर से तरुण कुमार ने कहा कि हिंदी के लिए वर्चुअल मंच पर जुड़े सभी गेस्ट स्पीकर और बच्चों को भारत का उच्चायोग लंदन की ओर से अभिनंदन आभार इसलिए कि हिन्दी के बारे में बहुत सारी बातें हुई बच्चों ने बहुत अच्छी कविताएं सुनाएं। डॉ निष्ठा ने बोला की भाषाएं हमें जोड़ती हैं अन्य बोलियो को अपने साथ जोड़ रही हैं उन्हें एक सूत्र में पिरोए हुए हैं उन्होंने सुंदर कविता भी पढी़। बच्चों ने हिंदी को लेकर बहुत सारी बातें की बहुत ही अच्छी अच्छी बातें बताई। हिंदी को राष्ट्रीय पहचान दिलाती है, हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा अभिमान है, हिंदी हिंदुस्तान है, मां की ममता है, हिंदी को बचाने की बात कही गई। आस्ट्रेलिया से जुड़े शैलेश शुक्ला ने राजभाषा नीति संघ की राजभाषा के बारे में बताया और राजभाषा के प्रचार के लिए कौन-कौन सी संस्थाएं काम कर रही हैं, इनके लिए इन कार्यालयों का क्या दायित्व है। हिंदी शिक्षा परिषद यूके (लंदन) की ओर से अंतरराष्ट्रीय आयोजन में भारतमूल के विदेशों में रह रहे नन्हें बच्चों ने अपनी भाषा में जब कविताएं सुनाई तो दिल की गहराई में उतरती चली गई। इन हिन्दी के हीरे मोतियों को संस्कार रुपी धागे में पिरोती कविताएं खुबसूरत बनाती गई। विवान, अनान्य, मीहिर, पृथ्वी, स्वयं, पुलकित व सिद्धू, सायना, दिव्या वरधिनी, यशवी, देवन, हव्यानसा ने कविताएं पढी और भारत के राष्ट्रीय गान के साथ इसका समापन किया गया।