मनुष्य जीवन में नैतिक कार्य करना ही सबसे बड़ा धर्म : कंवरपाल गुर्जर

मनुष्य जीवन में नैतिक कार्य करना ही सबसे बड़ा धर्म : कंवरपाल गुर्जर

पेड़ लगाने के बाद उसकी देखभाल करना भी मनुष्य की जिम्मेदारी, सतकुंभा धाम को कृष्णा सर्किट में शामिल करने के लिए महंत ने पत्र सौंपा

रणबीर सिंह, सोनीपत। प्रदेश के शिक्षा, वन एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि मनुष्य के लिए पूजा पाठ करना ही धर्म नहीं बल्कि उसके लिए सबसे बड़ा धर्म है जीवन में नैतिक कार्य करना। मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे नैतिक कार्य करने चाहिए जिससे सृष्टिï का कल्याण हो सके और पेड़-पौधे के बिना सृष्टिï का कल्याण नहीं हो सकता। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए। गुर्जर रविवार को गन्नौर उपमण्डल के गांव चिरस्मी में आयोजित ग्राम पंचायतों एवं स्वयं सहायता समूहों के संग पौधारोपण एवं मंत्रणा कार्यक्रम में पौधारोपण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। चिरस्मी गांव में पौधारोपण कार्यक्रम के बाद प्रदेश के शिक्षा, वन एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर, सांसद रमेश कौशिक, विधायक निर्मल चौधरी व विधायक मोहन लाल सहित कई भाजपा पदाधिकारी सतकुंभा धाम पर पहुंचे। धाम पर पहुंचने पर सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर मंहत राजेश स्वरूप महाराज ने पर्यटन मंत्री को जिला सोनीपत की प्राचीन, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर तीर्थ सतकुंभा धाम, तहसील गन्नौर को भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत कृष्णा सर्किट में शामिल करने के लिए पत्र सौंपा। महंत ने पर्यटन मंत्री को सौंपे गए पत्र में कहा कि भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय द्वारा पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत कृष्णा सर्किट योजना प्रारम्भ की है। जिसके अंतर्गत शामिल प्राचीन, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों को विशेष अनुदान देकर के विकसित किया जा रहा है। इसलिए तीर्थ सतकुंभा धाम के माहात्म्य को ध्यान में रखते हुए तीर्थ सतकुंभा धाम को कृष्णा सर्किट में शामिल करवाने के लिए दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय मुरथल व उपायुक्त सोनीपत द्वारा जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है, उसे हरियाणा पर्यटन मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय को आवश्यक सिफारिश कर भेजने की कार्यवाही करें। जिससे सोनीपत क्षेत्र की जनभावनाएं प्रफुल्लित होगी तथा इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण धरोहर का विकास होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनि जगलों में रहते थे तथा शिक्षा ग्रहण करने के लिए सभी गुरूकूल जगलों में स्थित थे इसका सबसे बड़ा कारण यही था कि जगलों में पेड़-पौधों की अधिकता के कारण वहां शुद्घ आक्सीजन मिलती थी और वहां का वातावरण भी सबसे शांत रहता था। प्राचीन समय में लोग पेड़-पौधों को भागवान की तरह पूजते थे। उन्होंनेे कहा कि पेड़ लगाने तक ही मनुष्य की जिम्मेदारी सीमित नहीं है बल्कि उसकी देखभाल करना भी मनुष्य की जिम्मेदारी है। अगर हम किसी पेड़ की देखभाल करते है तो वही पेड़ बड़ा होकर हमारी कई पीढियों को अक्सीजन तथा फल प्रदान करता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब हम छोटे थे तो रात के समय अगर हम किसी पेड़ की टहनी को तोड़ देते थे तो हमारे पूर्वज हमारे उपर बहुत गुस्सा करते थे क्योंकि उनका मानना था कि रात के समय अगर हम किसी पेड़ को नुकसान पहुंचाते है तो वह सबसे बड़ा पाप का कार्य है। गुर्जर ने कहा कि जब हम कोई भी गलत कार्य करते है तो हमारी आत्मा जरूर आवाज देती है कि हम गलत कर रहे हैं तथा जब हम कोई भी पुण्य का कार्य करते है तो हमारी आत्मा को शांति मिलती है। सांसद रमेश कौशिक ने कहा कि यहां के लोगों ने बहुत बड़ा पुण्य का कार्य किया है। क्योंकि यह पेड़ बड़े होकर मनुष्य को शुद्व आक्सीजन देने के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषण मुक्त करने का कार्य करेंगे। विधायक मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि अगर में जिस प्रकार अपनी संतान की देखभाल करते है उसी प्रकार पेड़-पौधों की देखभाल करें तो हमें संतान धोखा दे सकती है लेकिन पेड़-पौधे कभी नहीं। विधायक निर्मल चौधरी ने कहा कि जिस प्रकार मां-बाप अपनी संतान की रक्षा करते हैं ठीक उसी प्रकार ही पेड़-पौधे भी मनुष्य की कई पीढियों तक रक्षा करते हैं। इसलिए पेड़ पौधे मनुष्य  जाति के लिए रक्षा कवच है। अगर हम इस रक्षा कवच को ही नुकसान पहुंचाएंगे तो वो दिन दूर नहीं कि जब मनुष्य का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

धर्म-कर्म राजनीति सतकुंभा धाम हरियाणा