पृथ्वी की सुरक्षा सभी का नैतिक उत्तरदायित्व : कृष्ण वत्स

पृथ्वी की सुरक्षा सभी का नैतिक उत्तरदायित्व : कृष्ण वत्स

सकंट की घड़ी में एक निराशा का वातावरण छाया : अहलावत

रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। हिन्दू कन्या महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं सारथी जन सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट सोनीपत के संयुक्त तत्वाधान में पृथ्वी दिवस के तीसरे दिन अपनी पृथ्वी कविता प्रतियोगिता करवाई गई। जिसमें छात्राओं ने सोशल डिस्टेंसिग के अंतर्गत अपने-अपने घरों से उत्साहपूर्वक भाग लिया। छात्राओं ने कविता के माध्यम से कोरोना से बचने व लडाई से जीतने के लिए कुछ इस प्रकार प्रेरित किया। एक जंग हम भी लड़ रहें हैं, कभी सोचा ना था ये दिन आयेगा। डरना नहीं, रुकना नहीं, डर के नहीं डट के सामना करना है। वहीं मानवीय अति हस्तक्षेप से प्राकृतिक आपदाओं व प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का सीमित प्रयोग करने व उन्हें बचाने का संदेश देते हुए अगली पीढ़ी के लिए संसाधनों को बचाने की अपील की।  इस अवसर पर सारथी ट्रस्ट के चेयरमैन सतपाल सिंह अहलावत ने छात्राओं को संदेश दिया कि इस सकंट की घड़ी में जब एक निराशा का वातावरण छाया है। एनएसएस स्वयं सेवक लोगों के बीच जाकर हौंसला बढ़ाकर आने वाले सुंदर कल के लिए मनोवैज्ञानिक रुप से तैयार कर सकते हैं। इस अवसर पर सारथी ट्रस्ट के पर्यावरण सलाहकार एवं संयोजक कृष्ण वत्स ने कहा कि पृथ्वी की सुरक्षा सभी का नैतिक उत्तरदायित्व है। हमारे पूर्वज धरती को माता मानते थे व प्रकृति द्वारा प्रदत्त हर वस्तु का सम्मान व समझदारी से प्रयोग करते थे, लेकिन आज विकास की होड़ में हम इन संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। जिसने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है, जिससे आज हमारे समक्ष अनेकों चुनौतियां बीमारियों व आपदाओं के रुप में आ रही हैं। कविता लेखन में नितेश, अंजली, प्रीति, नेहा भारद्वाज, निहारिका, मानसी, शीतल, अंजली, वंदना, प्रिया रानी आदि वालंटियर्ज ने भाग। इस कार्यक्रम को आयोजित करने में प्रिंसिपल मंजुला अग्रवाल राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डा. माया चौधरी, नीलम देशवाल, मंजू, व सारथी ट्रस्ट से गौरव गर्ग, सुनील वर्मा, विनोद जांगडा, नवीन गर्ग, सुशील गोयल, डा. सुमन मंजरी, किरण बाला, संतोष राठी, स्नेहलता, डा. मीनू गबरानी का सराहनीय योगदान है।

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