श्रद्धालुओं के प्रकाश से सतकुंभा विश्व के मानचित्र पर चमकेगा : पीठाधीश्वर

जीवन को दिव्य गुणों से अलंकृत करें : गुरु मां, मानवीय गुणों के खुशबू पूरे विश्व में पहुंचाएं : सीताराम,  मूर्ति की पूजा करें तो उनके चरित्र जीवन में उतारें : राजीव जैन

सतकुंभा धाम पर उत्सव को संबोधित करते भाजपा नेता राजीव जैन व उत्सव में भाग लेते विभिन्न स्कूलों के बच्चे व श्रद्धालु।

रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव के चौथे विभिन्न धर्मगुरुओं, राजनेताओं, शिक्षा संस्थानों ने शिरकत की। हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने परम श्रद्धेय पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। वृंदावन से आए भजन सम्राट पवन देव चतुर्वेदी व्यास ने सतकुंभा के महात्मय पर खास प्रस्तुति आदर्श रामलीला कृष्ण लीला मंडल की मंडली के साथ पेश की, जो श्रद्धालुओं के लिए ज्ञानवर्धक व आकर्षक रही। खेड़ी गुज्जर के सरपंच ने महाराज महंत राजेशवर के साथ आए मेहमानों को स्मृति चिन्ह व पगड़ी भेंट की। पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज ने आर्शीवचन में कहा कि हमारा जीवन कुछ करने के लिए बना है। इसलिए जीते जी हम अपने धर्म के प्रति आस्था रखते हुए जो भी कर्म करते हैं, उसका प्रभाव समस्त मानव जगत पर पड़ता है। विश्व के मानचित्र पर सतकुंभा तीर्थ चमकेगा तो इसकी चमक में आपके सेवा रूपी कर्म का प्रकाश शामिल होगा।  कैलाना के नीलकंठ महादेव मंदिर की महंत गुरु मां नंद सरस्वती ने रूद्र महायज्ञ में आहुति डाली। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि धर्म संस्कृति की बातें आज यहां पर सुनेंगे, घर जाकर भूल जाएंगे तो बात बनने वाली नहीं है। धर्म का अर्थ है धारण करना। जिन दिव्य गुणों को यहां  पर सुन रहे हैं, उनसे अपने जीवन को अलंकृत करें, ताकि आपका जीवन खुशहाल हो जाए। लव-कुश धाम बहालगढ़ के पीठाधीश सीताराम महाराज ने कहा कि यह सतकुंभा तीर्थ सिद्धपीठ है, यहां से धर्म की ध्वजा फहरा रही है। मानव कल्याण के लिए जरूरी है कि हम परमपिता परमात्मा के बनाए संविधान के अनुसार जीवन यापन करें। यहां पर मानवीय गुणों की खुशबू को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाएं। मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार भाजपा नेता राजीव जैन ने कहा कि मानव जीवन का धर्म, मानव सेवा है। इससे सदमार्ग मिलता है, जीवन का कल्याण होता है। सतकुंभा धाम पर जिन लीलाओं का वर्णन हो रहा है, उनको जीवन में उतारने की जरूरत होती है। मूर्ति की पूजा करने के साथ उनके चरित्र को जीवन में उतारने से यह सतकुंभा उत्सव सार्थक हो जाएगा। यह भारत के 68 तीर्थ में शामिल सतकुंभा धाम जो सिद्धपीठ बना हुआ है। यहां पर  पीठाधीश्वर राजेश्वर महाराज का सांनिध्य मिल रहा है।  विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए नन्हें बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। भारतीय धर्म संस्कृति और सतकुंभा तीर्थ के महात्मय को जाना। इसके उपरांत अनंत भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। भजन सम्राट पवन देव चतुर्वेदी व्यास ने सतकुंभा के महात्मय पर स्तुति का गायन किया। वहीं पर वृंदावन मथुरा की मंडली ने मंच पर नाटिका प्रस्तुत कर तीर्थ सतकुंभा की महिमा का गुणगान किया।

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