यज्ञ द्वारा लोक और परलोक सुधरते : पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज

कलाकारों ने प्रभु भक्ति से मिश्रित कार्यक्रम पेश किए

सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम
रणबीर सिंह रोहिल्ला, गन्नौर। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव 5 कुंडीय सनातन रुद्र महायज्ञ आचार्य दीपक के नेतृत्य में किया जा रहा है। वहीं परमश्रद्धेय पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज के सांनिध्य में होने वाले उत्सव में तीसरे दिन विभिन्न शिक्षा संस्थानों के बाल कलाकारों ने प्रभु भक्ति, देश भक्ति से मिश्रित कार्यक्रम पेश किए। वहीं हरियाणा कला परिषद रोहतक से आई टोली ने हरियाणवी संस्कृति को पेश किया तो मथुरा से आए भजन सम्राट पवन चतुर्वेदी ने भगवान राम, श्री कृष्ण और शिव पर आधारित कार्यक्रम पेश कर वातावरण को भक्ति के रंग में रंग दिया। इस मौके पर पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। महानारायण उपनिषद् जिसमें कहा गया है कि यज्ञों से संतुष्ट होकर देवता संसार का कल्याण करते हैं। यज्ञ द्वारा लोक और परलोक सुधरते हैं। यज्ञ के समान कोई दान नहीं, यज्ञ के समान कोई कर्मकांड नहीं, यज्ञ में ही धर्म का समस्त तत्व समाया हुआ है। ब्रह्मा ने मनुष्यों के साथ ही यज्ञ को भी पैदा किया और उनसे कहा कि इस यज्ञ द्वारा ही तुम्हारी उन्नति होगी। यह यज्ञ तुम्हारी इच्छित कामनाओं और आवश्यकताओं को पूर्ण करेगा। यज्ञ द्वारा संतुष्ट हुए देवता अनायास ही तुम्हारी सुख शांति की वस्तुएं प्रदान करेंगे। यज्ञ से पुत्रार्थी को पुत्र, धनार्थी को धन, विवाहार्थी को अनुकूल साथी, रोगी को निरोगिता, महत्वाकांक्षी को ऐश्वर्य एवं निष्काम भाव से यज्ञानुष्ठान करने वाले को सच्चिदानन्द परमात्मा की प्राप्ति होती है। यज्ञ करने वाले को ग्रह दिशा, धनक्षय, स्वजन विछोह, पाप, रोग बन्धन, ऋण आदि की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती। यज्ञ का फल अनन्त है। हरिद्वार से आए 11 वेदपाठियों ने वेद का उच्चारण किया। आचार दीपक ने कहा कि धर्म का मूल आधारशिला और लोक हितार्थ फाल्गुन महोत्सव में यज्ञ किया जा रहा है। दूसरी ओर वृंदावन से आए पवन चतुर्वेदी ने सतकुंभा उत्सव रंागरंग संगीतमय सत्संग में सबसे पहले गणेश वंदना करवाई। इस मौके पर डा. कांता शर्मा, शिवानी शर्मा, शिवेंदु भारद्वाज, प्रबंधक सूरज शास्त्री, पवन शास्त्री, कृष्ण चंद्र शर्मा, जनेश्वर, रामनिवास, ब्रह्मपाल, सतीश वकील आदि व्यवस्था को संभले हुए थे। सतकुंभा में अनंत भंडारा खेड़ी गुज्जर की मुनेश पत्नी सुरेंद्र पंडित की ओर से दिया गया।

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