बाल सुविधाओं के तालाबंदी फिर भी बाल अधिकारी राज्य सम्मान से सम्मानित
Posted on July 28, 2019
राजेंद्र कुमार, सिरसा। हरियाणा में सिरसा स्थित बाल भवन में व्याप्त अव्यवस्थाओं और असुविधाओं ने बच्चों की खिलखिलाहट छीन ली है। सालभर से भी अधिक समय से बालभवन में बच्चों के मनोरंजन व खेल के लिए लगे झूलों व ट्रेन के तालं लटक रहे हैं मगर परिषद इन सेवाओं को बेहतर मानते हुए बीते दिनों राज्य स्तरीय समारोह में विशेष सम्मान से सम्मानित कर दिया। बालभवन में लगे झूलों व अन्य उपकरणों के ताले लटकने से बच्चों का यहां आवगमन बंद प्राय: हो गया है। अधिकारी दिन के समय दफ्तर में अपनी हाजिरी दर्ज कर चलते बनते हैं। अनेक बार शहर की विभिन्न संस्थाओं ने बाल भवन में सुविधाएं जुटाने की शासन-प्रशासन से बात की मगर परिणाम शून्य है। कभी इस बाल भवन में बच्चे आकर खुशी से सरोबार हो जाया करते थे, आज उसी बाल भवन को देखकर उनमें उदासी फैल जाती है। ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में यह संख्या बढ़कर खूब हो जाती थी मगर अबकी बार ये छुट्टियां यूं ही गुजर गई। बाल भवन परिसर में अच्छा मैदान था जिसमें घास लगी हुई थी। इस घास पर बच्चे धमाचौकड़ी करते थे। झूले लगे हुए थे जिन पर बच्चे झूलते हुए आनंद मनाते थे। वक्त के साथ बाल भवन ने अपना स्वरूप खो दिया। इसमें बच्चों के झूले वाली ट्रेन लगाई गई थी जिस पर बैठकर बच्चे रेलगाड़ी की फीलिंग लेते थे। यहां एक कृत्रिम बारिश करने वाला फव्वारा भी लगा हुआ था और एक रिंग में मिनी चिडियाघर स्थापित किया गया था जिसमें छोटे छोटे खरगोश, तीतर और तोते बच्चों का मनोरंजन करने के लिए रखे हुए थे मगर आज ये तमाम मनोरंजन की चीजें समाप्तप्राय: हो गई हैं। बाल भवन में छोटे बच्चों के लिए बाल पुस्तकालय भी था जो अब बंद है। ट्रेन,झूलों पर ताले लटक गए हैं और चिडियाघर में से तोते उड़ चुके हैं। न वहां खरगोश हैं और न ही चिडिया। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते बाल भवन में दिन के समय नशेड़ी युवक तो कहीं प्रेमी युगल बैठे नजर आते हैं। एकमात्र बाल भवन की ऐसी हालत के लिए कहीं न कहीं बाल भवन की देखरेख करने वाले जिला बाल कल्याण अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। जिला बाल कल्याण परिषद के अध्यक्ष उपायुक्त स्वयं हैं। पिछले दिनों हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा नशाबंदी के नाम पर एक आयोजन सिरसा में रखकर लाखों रूपया पानी की तरह बहा दिया गया जिसमें जिले के लोगों ने कोई खासी भागीदारी नहीं दिखाई। विभाग से जुड़े लोगों ने अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हुए लाखों रूपयों के खर्च के बाद अपने चहतों को ना केवल सम्मानित किया लेकिन उनकी तारिफ के खुब कशीदे भी पढ़े यहंा तक कि जिला बाल कल्याण अधिकारी पूनम नागपाल तक को सम्मानित कर अपने कृत्वय की इतिश्री मान ली। मजे की बात यह रही कि नशे के खिलाफ अल्ख जलाने वाली संस्थाओं को यह कहकर सम्मान से टाल दिया गया कि उन्हें चंडीगढ़ में महामहिम राज्यपाल के हाथों सम्मानित करेंगे मगर अभी तक उन्हें कोई बुलावा नहीं आया। जब इस संदर्भ में बाल भवन की अधिकारी पूनम नागपाल से पूछा तो बताया कि सब कुछ ठीक करने की कोशिश की जा रही है।