7 साल में सबसे देरी से आया मॉनसून
सितंबर तक टिका तो अवधि रहेगी 86 दिन, 24 घंटे में प्रदेश में 9.6 एमएम बरसात< अशोक छाबड़ा, जींद। लंबे इंतजार के बाद मॉनसून हरियाणा पहुंच गया है। मॉनसून ने अबकी बार उत्तरप्रदेश की ओर से दस्तक दी है। पिछले सात साल में मॉनसून सबसे देरी से पहुंचा है। वर्ष 2012 में प्रदेश में मॉनसून ने छह जुलाई को दस्तक दी थी। तब मॉनसून की अवधि महज 80 दिन की रही थी। अबकी बार मॉनसून यदि 30 सितंबर तक हरियाणा में एक्टिव रहता है तो यह अवधि 86 दिन की होगी। फिलहाल 17 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बिजाई शेष है। ऐसे में मॉनसून का सक्रिय रहना बहुत जरूरी होगा। मॉनसून के दस्तक देते ही प्रदेश में उमस बढ़ गई है और लू अब लगभग खत्म हो चुकी है। मॉनसून की लाइन सीकर से रोहतक होते हुए चंडीगढ़, ऊना और अमृतसर की ओर भी पहुंची है। खास बात यह है कि मॉनसून के साथ पश्चिम विक्षोभ ने भी असर दिखाया है। 24 घंटे में प्रदेश में 9.6 एमएम बरसात हुई, जबकि सामान्यत इस अवधि में 3.5 एमएम बरसात होती है। 1 जून से 5 जुलाई तक हरियाणा में 29.3 एमएम बरसात हो चुकी है। अभी भी 54 फीसदी बरसात की कमी है। हालांकि मॉनसूनी बरसात से 11 फीसदी कमी धुल गई है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 72 घंटे में मॉनसून की सक्रियता पूरी तरह से हरियाणा में बढ़ जाएगी। जिन जिलों में बरसात नहीं हुई है, वहां भी बरसात की संभावना बनेगी। आठ जुलाई तक हरियाणा में कहीं-कहीं भारी बरसात भी हो सकती है।
9 साल से मॉनसून में झमाझम का इंतजार
18 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा। सावन की घटाएं तो पिछले नौ साल से आ रही हैं, लेकिन सावन की झड़ी नहीं लग रही। वर्ष 2011 के बाद एक बार भी ऐसी स्थिति नहीं रही, जब प्रदेश में 400 एमएम से अधिक बरसात मॉनसून सीजन में हुई हो। वर्ष 2011 में 374.4 एमएम, 2012 में 277.8 एमएम, 2013 में 356.7 एमएम, वर्ष 2014 में 200.1 एमएम, 2015 में 287.7 एमएम, 2016 में 335.5 एमएम, वर्ष 2017 में 343.9 एमएम और 2018 में हरियाणा में मॉनसून सीजन में 415 एमएम बरसात हुई थी।